डॉ. राधाकृष्णन जयंती पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई

उज्जैन । शिक्षक बनना आसान नहीं है जो व्यक्ति शिक्षक बनकर समाज के समक्ष उपस्थित रहता है, शिक्षक बनने के लिये कितना त्याग किया है। इसलिये विद्वानो ने कहा है कि गुरू भगवान से भी बडा होता है। शिक्षक ने स्वयं त्याग करके समाज में व्याप्त अंधकार रूपी अवगुणो को दूर कर प्रकाश रूपी शिक्षा की ओर ले जाता है। शिक्षक त्याग की प्रतिमूर्ति, जो अंधकार को दूर कर प्रकाश की ओर ले जाता है।

उक्त उद्गार शिक्षाविद पूर्व प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन शेख (राष्ट्रीय मुख्य संयोजक) ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की 205वीं आभासी संगोष्ठी डॉ. राधाकृष्णन जयंती पर शिक्षक दिवस विषय : शिक्षक का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्यक्त किये। समारोह के विशिष्ट वक्ता डॉ. अनसूया अग्रवाल, राष्ट्रीय संयोजक महासमुंद छग ने बताया कि माता-पिता एवं गुरू को ईश्वर से उंचा दर्जा प्राप्त है। शिक्षक समाज की दशा और दिशा बदलने का सामर्थ्य रखता है।

विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी (राष्ट्रीय महासचिव उज्जैन) ने कहा कि विद्यार्थी के सपनो और जिज्ञासाओं को केवल शिक्षक ही पूर्ण कर सकता है। शिक्षक भावी नागरिको का निर्माण करता है। विशिष्ट अतिथि सुवर्णा जाधव राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष पुणे ने कहा कि सफलता हमेशा मेहनत करने वालो की तलाश में रहती है। असत्य के अंधेरे से सत्य के प्रकाश की तरफ शिक्षक ही ले जाता है। विशिष्ट वक्ता शशि त्यागी साहित्यकार अमरोहा ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में भारत में मनाया जाता है। शिक्षको को अनुकूल एवं गरिमामयी वातावरण दिया जाना चाहिये। जिससे श्रेष्ठ नागरिको का निर्माण हो सके।

विशिष्ट वक्ता डॉ. रश्मि चौबे ने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक समाज की आत्मा होती है। जो कडी मेहनत करके भावी पीढी का निर्माण करता है। जो आगे चलकर राष्ट्रसेवा देशभक्ति कार्य विभिन्न पदो पर पहुंचकर कर सके।
संगोष्ठी समारोह का शुभारम्भ डॉ. संगीता पाल की सुमधुर माँ शारदे वंदना से हुआ। स्वागत भाषण राष्ट्रीय मुख्य महासचिव इकाई महिला डॉ. रश्मि चौबे ने दिया। अतिथि परिचय एवं प्रस्तावना डॉ. बालासाहेब तोरस्कर ने प्रस्तुत की। संगोष्ठी में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं डॉ. हरिसिंह पाल मार्गदर्शक एवं महामंत्री नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली का संदेश भी सुनाया।

समस्त शिक्षको-साहित्यकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। संगोष्ठी में रोहिणी डावरे, डॉ. अपराजिता श्रीवास्तव, राजकुमार यादव, सरोज बाला शर्मा, डॉ. सुजाता पाटील, डॉ. दीपिका सुतोदिया, ज्योति जलज, सविता इंगले, डॉ. शिवा लोहारिया, प्रिया जैन आदि उपस्थित रहे। संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. मुक्ता कौशिक द्वारा करते हुए डॉ. राधाकृष्णन एवं शिक्षको के संदर्भ में विचार प्रस्तुत किये। आभार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनीता मंडल ने माना।

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