व्यंग : अमिताभ अमित की कलम से – खबर सौ फ़ीसदी दुरुस्त है!

अमिताभ अमित । जमालपुर निवासी एक आदमी ने एक बड़े पुलिसिए को मुक्का मारा, जानते – बूझते मारा! केवल इसलिये मारा ताकि जेल चला जाए! जेल इसलिये जाना था उसे क्योंकि वो शादीशुदा था! घर के जो हालात थे, उसे देखते हुए उसे जेल ज़्यादा शांतिपूर्ण और सुरक्षित जगह लगी!
पुलिस वाला, पुलिस में होने के बावजूद भला इंसान था! शायद शादीशुदा भी रहा हो, वाक़िफ़ हो ऐसी परिस्थितियों से! उसने मुक्का खाने के बाद भी इस आदमी को समझौते का प्रस्ताव दिया! पर ये भाई जिसकी अकल की दाढ़ निकल चुकी थी, उसने जेल को उस घर पर तवज्जो दी जिसमें उसकी बीबी रहती थी!

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अमिताभ अमित : व्यंगकार

अब आईये, इस बंदे की इस सदिच्छा की वजह भी जान ले! गलती सरासर इसी आदमी की थी, ये शादी होने के पहले नादान था; नादान था इसलिये शादी की इसने! ग़लतियाँ और भी की इसने! पहली तो यही कि ये शादी होने के बाद भी सुखी रहना चाहता था! ऐसी वाहियात सोच को नादानी के बजाय बेवक़ूफ़ी के खाते में डाला जाना ठीक नही! ऐसी सोच वाले लातों के भूत होते हैं और हमारे यहाँ पाये जाने वाले भूतों को मारपीट से ही भगाये जाने का रिवाज है!

और फिर ये ख़तरनाक आदमी शादी होने के बाद भी सिर्फ अपनी ही चलाना चाहता था! शादी के बाद अपनी चलाने की उम्मीद करता यह आदमी हमारे सामाजिक व्यवस्था के लिये ख़तरा है! हर शादीशुदा आदमी इसी तरह सोचने लगे तो शादियाँ टिकेगी कैसे?
आज के जमाने में ऐसी ख़तरनाक सोच लिये फिर रहे आदमी को खुले में घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती! ऐसी सोच समाज को प्रदूषित कर सकती है! ऐसे में मेरे ख़्याल से यह आदमी कालेपानी भेज दिये जाने लायक़ है!

हालाँकि कुछ विद्वान मानते हैं कि आदमी शादी होने के बाद भी सुखी रह सकता है! यह बात अलग है कि ये सारे विद्वान वो है जिन्होंने खुद कभी शादी नहीं की, पर मैं खुद शादीशुदा होने के बावजूद यह मानता हूँ कि यदा-कदा ऐसा होना मुमकिन है! शादीशुदा आदमी को, अपनी पत्नी की हर बात पर, अपनी पाँच किलो की मुंडी को ऊपर से नीचे की तरफ़ हिलाने की प्रवृत्ति, सप्रयास विकसित करनी होती है! इस नादान को उसके बाप ने ऐसा करना सिखाया नहीं था! ऐसे में पत्नी की नैतिक ज़िम्मेदारी थी कि वो इसे पाठ पढ़ाये! पढ़ाने-लिखाने के वक्त मार-पीट करना आम बात है हमारे यहाँ! पर ये भावुक बंदा इस मामूली बात से डरा और पुलिस वाले को कूट कर जेल जाने का इंतज़ाम कर बैठा!

माँ के बाद पत्नी ही है, हमें सभ्य बनाने का सेहरा जिसके सर होता है! पुरूष का यह प्रशिक्षण सत्र होश सँभालते ही प्रारंभ हो जाता है! और यह तब तक अनवरत जारी रहता है जब तक विद्यार्थी और शिक्षक दोनों में से कोई एक जीवित न रहे! आप रोज उलाहने सुनते हैं, रोज सीखते हैं, रोज परीक्षा देते है और रोज ही फेल हो जाते हैं; यही जीवन चक्र है! यह संसार और सारी सभ्यताएँ इसी व्यवस्था से विकसित हुई है! इस व्यवस्था का उल्लंघन करना, इसकी अवहेलना करना अक्षम्य अपराध है! और पीटे जाने से ही इस अपराध का शमन हो सकता है! इस नादान और अधीर आदमी ने यह क़ानून तोड़े इसलिए भी ये जेल जाने का अधिकारी है!

एक और ख़तरनाक बात!
इस बंदे ने पुलिस वाले को थपडिया कर यह बात साबित करने की कोशिश की, कि जेल घर से कम ख़तरनाक जगह है! ऐसे में यदि बाक़ी शरीफ़ लोग भी, इसके नक़्शेक़दम पर चलकर जेलों को भर दें, पुलिस वालों से, जेल से डरने से इनकार करने लगे तो पुलिस की क्या औकात रह जायेगी?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बैल और आदमी शराफ़त से तय रास्ते पर चलते रहें इसके लिये उनके पिछवाड़े तलाश कर उनसे नुकीले, कील लगे डंडे का मेल-मिलाप करवाने से अच्छा और कोई उपाय नहीं! डंडा वह इकलौती चीज़ है जो हिंदुस्तानियों को नैतिक, भलामानस बनाये रखता है! पत्नी और पुलिस ये दोनों संस्थान हैं ही इसलिये ताकि समाज में व्यवस्था बनी रहे, क़ानून का राज क़ायम रह सके! पत्नी और पुलिस दोनों को चुनौती देता यह आदमी अराजकता फैलाने का दोषी है, ऐसे में इससे कड़ाई से पेश आना ज़रूरी है!

पत्नियों के साथ-साथ पुलिस वालों की भी इज़्ज़त का सवाल है अब! ऐसे में इस आदमी को आखरी साँस तक जेल में रखे जाने और हाजत में क़ायदे से कूटे जाने की सिफ़ारिश करता हूँ!!

अमिताभ अमित – mango people

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