संकेत का पान की दुकान से कॉमनवेल्थ पोडियम तक का सफर

सांगली। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए वेटलिफ्टर संकेत महादेव ने 55 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीता। भारत के लिए पदक खाता खोलने वाले संकेत अबतक काफी साधा जीवन जीते आए हैं। संकेत के पिता की सांगली में एक पान की दुकान है।इस साल कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की ओर से कोई भी मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने संकेत का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ रहा है। संकेत बेहद गरीब परिवार से हैं और उनकी कामयाबी के पीछे परिवार का बड़ा हाथ रहा है। संकेत के पिता की सांगली में एक पान की दुकान है। संकेत कोल्हापुर के शिवाजी यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के छात्र हैं।

वह इससे पहले खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 में भी अपनी कैटेगरी के चैम्पियन रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल पर संकेत का ये पहला बड़ा मेडल है। सुबह साढ़े पांच बजे उठकर ग्राहकों के लिए चाय बनाने के बाद ट्रेनिंग, फिर पढ़ाई और शाम को फिर दुकान से फारिग होकर व्यायामशाला जाना, करीब सात साल तक संकेत की यही दिनचर्या हुआ करती थी। संकेत सरगर स्वर्ण पदक से महज एक किलोग्राम से चूक गए, क्योंकि क्लीन एंड जर्क वर्ग में दूसरे प्रयास के दौरान चोटिल हो गए थे।

गुरुराजा ने कांस्य जीतकर भारत को दिलाया दूसरा पदक : भारत के गुरुराजा पुजारी ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में देश को दूसरा पदक दिलाते हुए शनिवार को 61 किग्रा भारोत्तोलन में कांस्य पदक हासिल किया। गोल्डकोस्ट 2018 के रजत पदक विजेता गुरुराजा ने स्नैच में 118 किग्रा उठाने के बाद क्लीन एंड जर्क में अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 151 किग्रा के निशान को छुआ और उनका कुल स्कोर 269 किग्रा रहा।

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