कृषि कानूनों की वापसी: कहीं स्वागत, कहीं तोहमत

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीन कृषि कानूनों के वापस लेने की शुक्रवार की घोषणा का सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने स्वागत किया है तो कांग्रेस और विपक्षी राजनीतिक दलों ने इन कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को उनके आंदोलन की सफलता की बधाई दी है। इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।”

संयुक्त किसान मंच ने केंद्र के तीन कृषि कानून वापस लिये जाने करने के फैसले पर कहा कि यह फैसला पहले लिया जाता तो 666 किसानों की जान नहीं जाती। मंच के संयोजक हरीश चोैहान और सह संयोजक संजय चौहान ने जारी बयान में कहा कि सरकार से यह एक बहुत बड़ी भूल हुई है। चौहान बंधुओं ने कहा कि सरकार का यह निर्णय आंदोलन को एक वर्ष पूरे होने के बाद लिया है इससे भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा स्पष्ट हुआ है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय देश हितों के मद्देनजर लिया है।

भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने यूनीवार्ता से बातचीत करते हुए कहा कि श्री मोदी ने निश्चित तौर पर किसानों के हितों को देखते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। केन्द्रीय गृृह मंत्री अमित शाह ने तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कदम उठाकर कुशल राजनीतिज्ञ होने का परिचय दिया है। मोदी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और संसद सत्र शुरू होने से पहले शुक्रवार को सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।

शाह ने इस घोषणा के बाद ट्वीट कर कहा, “कृषि कानूनों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी की घोषणा स्वागत योग्य और कुशल राजनीतिक कदम है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार किसानों की सेवा करती रहेगी और हमेशा उनके प्रयासों का समर्थन करेगी। ” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “नरेन्द्र मोदी जी की घोषणा में यह अद्भुत बात है कि उन्होंने इस घोषणा के लिए गुरू पर्व के विशेष दिन को चुना है। इससे पता चलता है कि उनके मन में प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई अन्य विचार नहीं है। उन्होंने असाधारण शासन कला का परिचय दिया है।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कृषि कानूनों के वापस लेने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के खास दिन हुए इस फैसले से पूरे देश मे भाईचारे का माहौल बनेगा। नड्डा ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस घोषणा का भाजपा तहे दिल से स्वागत करती है।सरकार ने सुशासन के लिए असंख्य उपाय किए है। आइए हम एक साथ काम करते रहें, और अपनी सामूहिक भावना से भारत को आने वाले समय में और भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।”

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष एवं केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत किया है। पटेल ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करना एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने एक बयान में कहा, “मैं गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर प्रधानमंत्री की घोषणा का हृदय से स्वागत करती हूँ।”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की सरकार की घोषणा को अन्याय की हार बताते हुए किसानों को जीत की बधाई दी और कहा कि अन्नदाता के सत्याग्रह के सामने अहंकार का सिर झुका है। गांधी ने ट्वीट किया, “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान।” कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि किसानों पर अत्याचार और उनका दमन करने के एक साल बाद मोदी सरकार को किसानों की ताक़त का एहसास हाल के उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद हुआ है, इसलिए इस दमनकारी सरकार की नियत पर अभी विश्वास नहीं किया जा सकता है।

श्रीमती वाड्रा ने कहा, “छह सौ से अधिक किसानों की शहादत, 350 से अधिक दिन का संघर्ष। मोदी जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान कर उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला, उनपर लाठियाँ बरसायीं, उन्हें गिरफ़्तार किया। अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी – कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती। आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है। किसान की सदैव जय होगी। जय जवान, जय किसान, जय भारत।”

कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ जो अन्याय किया है उसे उन्होंने आज स्वीकार कर लिया है और अब श्री मोदी को देश के अन्नदाता से इस अपराध के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश का किसान कृषि विरोधी तीन कानूनों को वापस करने की मांग के लिए पिछले साल 26 नवंबर से आंदोलन कर रहा है लेकिन सरकार ने हठधर्मिता और अहंकारी रुख अख्तियार कर उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया और असंवेदनशील तरीके से उनके आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया।

उन्होंने इसे गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि इस आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों ने शहादत दी, किसानों पर अत्याचार हुए, लाठी बरसाई गई और उन्हें आतंकवादी, उग्रवादी और आंदोलनजीवी कह कर अपमानित किया गया और कई बार आंदोलनकारी किसानों के साथ जबरदस्ती करने का भी प्रयास हुआ है। प्रवक्ता ने कहा कि मोदी ने आज तब किसानों के साथ न्याय किया है जब आंदोलन के दौरान उनके साथ बर्बरता की सारी हदे पार कर दी और उनका उत्पीड़न किया। उनका कहना है कि किसानों को न्याय देने का यह प्रयास ठीक उसी तरह है जैसे किसी व्यक्ति को पहले अधमरा कर दिया जाए और जब उसकी सांस उठाने की स्थिति में हो तो कह दिया जाए कि उसे जीवनदान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि देश की जनता अब समझ गई है कि भा ज पा किसान विरोधी है और भाजपा के सरकार जाने से देश में खुशी और खुशहाली आ सकटी है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता डा़ नरेश कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को तीनोें कृषि कानूनोें को वापिस लेने की घोषणा कर किसानों पर कोई उपकार नहीं किया है बल्कि यह भारतीय जनता पार्टी और दूसरी पार्टियों के उन नेताओं की हार है जो किसानों को आतंकवादी और देशद्रोही करार दे रहे थे। डा़ कुमार ने यहां जारी एक बयान में कहा कि केन्द्र सरकार की मंशा शुरू से ही इन कानूनों को लेकर गलत थी और मोदी का मकसद इनके कानूनों के जरिए अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाना था और अगर ये काले कानून देश में लागू हो गए होते तो किसान समुदाय कारपोरेट जगत का गुलाम बन कर रह जाता।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महात्मा गांधी ने जिस प्रकार सत्याग्रह के जरिए अहंकारी ब्रिटिश सरकार को झुकाया था ठीक उसी प्रकार किसानों ने अपना आंदोलन देश भर में शांतिपूर्वक तरीके से चलाया और इस अहंकारी सरकार को समझा दिया था कि उसकी मनमानी नहीं चलेगी। श्री कुमार ने कहा कि देश की जनता का प्रधानमंत्री मोदी से मोह भंग हो गया है और जिस विकास तथा अच्छे दिनोें की वह बातेंं करते थे वह सब चुनावी जुुमले साबित हुए हैं।

केन्द्र सरकार महंगाई रोकने में पूरी तरह नाकाम है, डीजल और पेट्रोल के अलावा रसोई गैस, सरसों के तेल और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों ने देशवासियों की कमर तोड़ दी है और इसका परिणाम केन्द्र सरकार को हाल ही में हुए विधानसभा तथा लोकसभा उपचुनावों में देखने को मिल गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इन कानूनों को वापिस लेकर किसानों पर कोई उपकार नहीं किया है क्योंकि उसे अगले वर्ष कईं राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी हार का डर था और इसी वजह से उसने इन काले कानूनों को वापिस लेने की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि अब सरकार की ऐसी क्या मजबूरी हो गई है कि उसने इन्हें वापिस लेने की घोषणा की है और यदि इस सरकार की नीयत ठीक होती तो वह कभी भी इन कानूनों को लेकर नहीं आती और न ही इस सरकार के मंत्री अपने भाषणों में किसानों को आतंकवादी करार देते। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा लोकतंत्र की जीत तथा मोदी सरकार के अहंकार की हार है।

गहलोत ने ट्वीट कर कहा, “तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है। देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।’’ मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।’’

गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा कि आज किसान और उनके आंदोलन की जीत हुई और सरकार का अभिमान टूटा है।
श्री पटेल ने ट्वीट कर कहा, “टूट गया अभिमान, जीत गया मेरे देश का किसान। आज किसान और उनके आंदोलन को विजय प्राप्त हुआ हैं। आंदोलन में और भाजपा की तानाशाही से शहीद हुए किसानों को यह विजय श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित हैं।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “भाजपा के नेता अभी तक तीन कृषि क़ानून लागू होने के फ़ायदे गिनाते थे लेकिन आज से तीन कृषि क़ानून वापिस लेने के फ़ायदे गिनाएँगे।’’

वहीं राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिगणेश मेवानी ने कहा पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावों में दिख रहे खतरे के चलते किसान विरोधी तीनों कानून वापस लेने की सरकार की घोषणा का स्वागत है।
उन्होंने कहा कि यदि चुनावी गणित के बजाय मानवीय संवेदना से प्रेरित होकर यह निर्णय पहले ही ले लिया गया होता तो सैंकडों किसानों की जानें बच जाती।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन कृषि क़ानून रद्द होने को बड़ी ख़ुशख़बरी बताते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों की शहादत अमर रहेगी।

केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद ट्वीट कर कहा, ‘आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत अनेक नेताओं, राजनीतिक दलों और किसान संगठनों के नेताओं ने स्वागत किया है।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पंजाब में विशेषकर किसानों में जश्न का माहौल है। राज्य में जगह जगह ढोल नगाड़े बचाकर, नाचते और खुशी मनाते हुये मिठाईयां बांटी गईं। चन्नी ने इस फैसले पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वह प्रधानमंत्री की इस घाेषणा का स्वागत करते हुये इसके लिये उनका धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि किसानों के लम्बे और शांतिपूर्ण आंदोलन की जीत है जिसके लिये वह अन्नदाता को सलाम करते हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कृषि कानून रद्द करने का स्वागत करते हुये इसके प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि गुरू नानक देव जयंती पर पंजाबवासियों के लिये आज एक बड़ा दिन है। वह गत लगभग एक वर्ष से लगातार कृषि कानूनों का मुद्दा केंद्र के साथ उठा रहे थे और किसानों की आवाज सुनने का अनुरोध कर रहे थे। एक और ट्वीट में पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों के विकास के लिए भविष्य में भाजपा के साथ मिलकर काम करने की आशा जताई है और कहा है, “मैं पंजाबवासियों से वादा करता हूं कि मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक हर आंख का हर आंसू नहीं पोंछ देता।“

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया में कहा “गुरूपर्व के पवित्र अवसर पर कृषि कानूनों को वापिस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं। सामाजिक शांति और भाईचारे की बहाली के लिये यह कदम सराहनीय है। मैं सभी किसान संगठनों से धरना समाप्त करने का आग्रह करता हॅूं। हम किसान हित के हमेशा प्रयास करते रहेंगे“। राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने श्री मोदी की तीन कृषि कानून रद्द करने की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये अपने ट्वीट में लिखा है “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की गुरूनानक देवजी के प्रकाश उत्सव पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पर सभी किसान संगठनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार प्रकट करना चाहिए और अपने धरने तुरंत उठाकर अपने-अपने घरों को जाकर अपने नियमित कामों में लगना चाहिए।“

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देशहित में बड़े दिल का परिचय देते हुये यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसान हितैषी है और यह एक बड़ा फैसला है। अलबत्ता इन कानूनों को किसानों को समझाने में विफल रहे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि सरकार की ओर से कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय हर एक किसान की जीत है। सुश्री बनर्जी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “सभी किसानों को मेरा हार्दिक अभिनंदन, जिन्होंने अथक संघर्ष किया और उस क्रूर व्यवहार से विचलित नहीं हुए, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों के साथ किया।”

उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।
मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इन कृषि कानूनों की वापसी का पूरा श्रेय किसानों को जाता है। उन्होंने तीनों कानूनों का बचाव करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी की आलेचना की और कहा कि ये कानून ‘काले कानून हैं।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी ने अपनी एक साल की जिद के चलते हमारे अन्नदातओं की मौतों पर कोई दु:ख तक नहीं जताया है।

वह अब भी इन कानूनों की भावना को उचित बता रहे हैं और इस ऐतिहासिक आंदोलन से कोई सबक लेने को तैयार नहीं हैं।’ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष एम के स्टालिन समेत विभिन्न नेताओं ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के निर्णय का स्वागत किया और किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को उनकी जीत करार दिया। स्टालिन ने ट्वीट किया , “मैं किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की श्री मोदी के घोषणा का तहे दिल से स्वागत करता हूृँ। इतिहास हमें सीखता है कि लाेकतंत्र में जनता की इच्छाएं प्रबल होती है।”

तमिलनाडु के नगर प्रशासन मंत्री के एन नेहरू ने कहा कि श्री स्टालिन ने सबसे पहले तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना किसानों की जीत है।
द्रमुक लोकसभा सदस्य एवं महिला विंंग नेता कनिमोझि ने कहा, “तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला हमारे किसानों की जीत है और लोकतंत्र के लिए यह बहुत बड़ी जीत है। यह हमारे विश्वास को और मजबूत करता है जनता की आवाज की गूंज राजा की आवाज से ऊपर होती है।

पीएमके संस्थापक एस रामदास ने श्री मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को स्वागत किया है और कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा। इस बीच विभिन्न किसान एसोसिएशन ने त्रिची और कावेरी डेल्टा क्षेत्रों में पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर तीनों कृषि कानून को वापस लेने घोषणा खुशियां मनाई। किसान संघ के नेता अय्याकन्नू के अगुवाई में किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की सराहना की और शांतिपूर्ण विरोध के लिए किसानों के समर्थन में नारे लगाए। किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के कारण ही तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा की गयी है। इस जीत का श्रेय सभी किसानों को जाता है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर एक बार फिर साबित कर दिया कि उनका दिल कितना बड़ा है और वह केवल देश के लिए ही धड़कता है। विजयवर्गीय ने ट्वीट के जरिए कहा, ‘जीवन में कभी कभी ऐसे पल आते हैं जब हमें अपनों और अपनों के हितों में से एक का चुनाव करना पड़ता है। अपने रहेंगे तो अपनों का हित तो कभी भी साध लेंगे। धन्यवाद नरेंद्र मोदी जी। पुन: एक आदर्श नायक को परिभाषित करने के लिए।’

उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि, ‘श्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर एक बार फिर साबित किया कि उनका दिल कितना बड़ा है और केवल देश के लिए ही धड़कता है। मोदी एवं भाजपा के लिए जन गण मन ही सर्वोपरि है। हम, भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो, मंत्र के साथ काम करते हैं और करते रहेंगे।’ इस फैसले को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अहंकार की हार बताते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में हार के डर से केन्द्र सरकार ने मजबूरी में यह कदम उठाया है।

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि चुनाव में हार के डर से कृषि कानून वापस लेने वाली सरकार से किसानों को सावधान रहना होगा। क्या गारंटी है कि चुनाव के बाद वह एक बार फिर से इन कानूनों काे अन्नदाताओं पर फिर न थोप दे। बुंदेलखंड के किसान नेता गौरीशंकर बिदुआ ने इसे किसानों की जीत बताते हुए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया । किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बुंदेलखंड के किसान नेता ने कहा “ प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों की वापस लेने की घोषणा आज की ,यह हम किसानों की बहुत बड़ी जीत है और इस फैसले के लिए मैं मोदी जी को धन्यवाद देता हूं।”

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट के जरिए लिखा है, ‘जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक, कभी देशद्रोही, दलाल, आतंकवादी तक कहते थे, यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चायी की जीत है, किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है, जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि विरोधी कानून वापस लेने की घोषणा लोकतंत्र और किसान आंदोलन की विजय है।
जन जागरण अभियान के तहत नर्मदा नदी के तट पर स्थित प्रसिद्ध पौराणिक नगरी नेमावर पहुंचे श्री सिंह ने मीडिया से कहा कि वे उन बहादुर किसानों को बधाई देना चाहते हैं, जो एक साल से धरने पर बैठे थे।

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