नीलांचल निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र सुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।

आलोक कुमार, हेमन्त कुमार, भागलपुर (चंपानगर) । चम्पा नदी गोकुलगंगा घाट के तट पर स्थित भागलपुर बड़ी ठाकुरबाड़ी मंदिर में 1 जुलाई 2022, शुक्रवार को रथयात्रा का आयोजन भगवान जगन्नाथ जी को रथासिन करके किया गया। कोरोना महामारी के कारण विगत 2 वर्षों से रथ को नगर भ्रमण नहीं कराया गया था, इसलिए इस वर्ष लोगों में रथयात्रा को लेकर काफी उत्साह है। मन्दिर समिति की ओर से रथयात्रा को भव्य बनाया गया। घोड़ा, रथ, बाजे-गाजे के साथ यह यात्रा निकाली गई। यहां बताते चलें कि पिछले दो वर्षों से कोरोना के कारण भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई थी। भगवान को रथासिन भी नहीं किया गया था, जिसके कारण चम्पावसियों को कई परोक्ष व प्रत्यक्ष मुसीबतों को झेलना पड़ा।

प्राचीनता : यहां यह जानना आवश्यक है कि यह प्राचीन मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है, हजारों वर्षों से रथयात्रा का आयोजन मनसा देवी पूजा समिति लाखराज की ओर से किया जाता रहा है। यह मंदिर तांती समाज के धरोहर के रूप में विख्यात है। कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 से हजारों वर्षों से चली आ रही परम्परा को तोड़ा गया। इस मंदिर में भगवान राम, भगवती सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी के साथ विराजते हैं। राधाकृष्ण, बालगोपाल, भगवान शालिग्राम, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा के साथ विराजमान है। जहां तक प्राचीनता का प्रश्न है, इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता की यह मंदिर कब और किसके द्वारा स्थापित किया गया गया है। 300 सालों के कागजात तो उपलब्ध है लेकिन लोग हजारों सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा अर्चना करते आ रहे हैं।

मंदिर का इतिहास : बड़े बुजुर्ग बताते थे कि इस मंदिर में राजा रोमाद पूजा करने आते थे। इतिहास के पन्नो को टटोलें तो रोमाद नाम के कोई राजा नहीं हुए हैं लेकिन अंग देश के चंद्रवंशी राजा रोमपाद का वर्णन अवश्य मिलता है जो अयोध्यापति राजा दशरथ के परम मित्र थे एवं महारानी कौशल्या की बड़ी बहन महारानी वर्षिणी के पति थे। ऐसी चर्चा मिलती है कि राजा रोमपाद ने हीं अपनी साली कौशल्या का गन्धर्व विवाह अपने मित्र राजा दशरथ से करवा कर कौशल और अवध के मध्य दुरभिसंधि स्थापित करवाया था। ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि राजा रोमपाद हीं कालक्रम में अपभ्रंश हो कर रोमाद राजा कहे जाते होंगें और यह मंदिर उन्हीं के द्वारा स्थापित किया गया हो।

क्योंकि वर्तमान मंदिर किसी प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर हीं स्थित है यह मंदिर कितना प्राचीन है इस बात की पुष्टि व्यापक उत्खनन और शोध के बाद हीं पता चल पाएगा लेकिन लोकमान्यता यही है कि यह राजा रोमाद द्वारा स्थापित है। विदित हो कि यह वही चंपा है जो महात्मा बुद्ध से पहले भारतवर्ष के ज्ञात 16 महाजनपद में एक और विशिष्ट “अंग महाजनपद की राजधानी थी। अब यह चंपानगर के नाम से प्रसिद्ध है। महाभारत काल के ख्यात रहा कर्ण के तो नाम के साथ ही इस जनपद का नाम जुड़ा और वे “अंग राज कर्ण” कहे गए।

लोक मान्यताएं : इससे इतर भी इस मंदिर के कई चमत्कार प्राचीन काल से हीं देखे जाते रहे हैं कई। सिद्ध संत, महंतों के चमत्कार और महामारी की कथा समाज में व्याप्त है। अभी भी मात्र ग्यारह तुलसी दल में चंदन से राम नाम लिखकर लगातार तीन माह तक जो भगवान को नित्य अर्पित करते हैं उसके सारे काम सिद्ध होते हैं। यह मंदिर चंपानगर लाखराज के अंतर्गत आता है जिसपर चम्पावसियों को गर्व है। अत्यंत सादगी से पूजा सम्पन्न कर सम्पूर्ण नगर वासियों की ओर से भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना किया गया कि पूरा विश्व कोरोना महामारी से मुक्त हो और विश्व मे सुख शांति व्याप्त हो।

आयोजक समिति : इस अवसर पर जगन्नाथ मन्दिर समिति के सदस्य और मनसा देवी मन्दिर समिति के सभी सदस्य और नगर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।badi thakurbari champanagar bhagalpur

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