बरेली, उत्तर प्रदेश | 31 अक्टूबर 2025: जहां आज भी मासिक धर्म को लेकर समाज में संकोच और चुप्पी है, वहीं राखी गंगवार ने इस विषय को सामाजिक संवाद का हिस्सा बनाने का साहसिक कदम उठाया है।
एक शिक्षिका होने के साथ-साथ उन्होंने ‘पैड बैंक’ अभियान की शुरुआत की, जिससे गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इसी सामाजिक पहल के कारण लोग उन्हें आज “पैड वुमन ऑफ बरेली” के नाम से पहचानते हैं।

🩸 ‘पैड बैंक’ की शुरुआत:
- स्वयं की तनख्वाह से पैड खरीदकर अभियान शुरू किया
- अस्वच्छ साधनों के उपयोग से होने वाले संक्रमण को रोकने का उद्देश्य
- सैकड़ों महिलाएं जुड़ीं, कई संगठनों का सहयोग मिला
‘पैड बैंक’ से महिलाओं को मिला आत्मविश्वास
राखी गंगवार ने अपने अभियान के तहत जरूरतमंद और गरीब महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना शुरू किया।
उन्होंने देखा कि कई महिलाएं आज भी कपड़े या अस्वच्छ साधनों का उपयोग करती हैं, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसी समस्या को खत्म करने के लिए उन्होंने अपनी तनख्वाह से पैड खरीदकर ‘पैड बैंक’ की नींव रखी।
आज इस पहल से सैकड़ों महिलाएं जुड़ चुकी हैं और कई संगठन भी सहयोग कर रहे हैं।
📌 जागरूकता की पहुंच:
- 100 से अधिक गाँवों में अभियान चलाया
- स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण इलाकों में संवाद
- लड़कियों को बताया कि पीरियड्स शर्म नहीं, शक्ति हैं
राखी गंगवार ने अब तक 100 से अधिक गाँवों में जाकर मासिक धर्म जागरूकता अभियान चलाया है।
वे स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण इलाकों में जाकर लड़कियों को बताती हैं कि पीरियड्स कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
उनका कहना है कि “अगर महिलाएं खुद इस विषय पर खुलकर बात नहीं करेंगी, तो आने वाली पीढ़ी भी इसी झिझक में रहेगी।”
पुरुषों को भी जोड़ा अभियान से
राखी गंगवार का मानना है कि मासिक धर्म पर बात सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।
उन्होंने पुरुषों को भी इस मिशन से जोड़ने की कोशिश की है, ताकि समाज में खुले विचार और समानता का वातावरण बन सके।
प्रेरणा का प्रतीक
राखी गंगवार के कार्यों को कई मंचों पर सराहा गया है। उन्हें महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विशेष पहचान मिली है।
उनका सपना है कि हर गाँव और हर स्कूल में “पैड बैंक” स्थापित हो, ताकि कोई भी लड़की सिर्फ माहवारी की वजह से स्कूल जाना न छोड़े।
राखी गंगवार का संदेश
“माहवारी कोई शर्म नहीं, बल्कि शक्ति का प्रतीक है। जब महिलाएं खुलकर बात करेंगी, तभी समाज सच में आगे बढ़ेगा।”
🏆 सम्मान और प्रेरणा:
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर ‘नारी शक्ति सम्मान’ से सम्मानित
- लिकोरिया, ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसे विषयों पर भी जागरूकता
- सपना: हर गाँव और स्कूल में पैड बैंक, ताकि कोई लड़की माहवारी के कारण स्कूल न छोड़े
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