सवाल सरकार से : बस अब इंतजार है चुनावी लॉलीपॉप का

अमितेश कुमार ओझा

जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे वैसे ही भिन्न भिन्न पार्टियों द्वारा चुनावी लॉलीपॉप का ऐलान किया जाएगा ।उसमे से जो मुद्दा ज्यादा गरम रहेगा वही पार्टियों द्वारा बार बार दोहराएं जाएंगे । पिछले बार के चुनावी मुद्दो में जो सफल हुआ होगा उसका जिक्र बार बार पार्टियों द्वारा किया जाएगा । लेकिन आप उनसे पूछेंगे तो वो एक भी ऐसे मुद्दा आपको नहीं बताएंगे जो असफल हुआ । भागती दौड़ती जिंदगी में आम जनता के पास अपनों के लिए ही समय नहीं है तो इनके द्वारा दिए गए चुनावी लॉलीपॉप में कौन ध्यान देगा। मुद्दा आखिर घूम फिर का वहीं राम मंदिर ,सड़क,नाला धर्म जैसे मुद्दों पर आकर समाप्त होगा।

पार्टियों की ऐसी हालत है की उसे छोड़ कर और कोई मुद्दा खरा नहीं उतर सकता । जबकि वास्तविक मुद्दा गरीबी, शिक्षा,रोजगार स्वास्थ्य और पर्यावरण होने चाहिए । आज भी ना जाने कितने लोग बिना खाए सोते होंगे , कितने लोग शिक्षा से वंचित है ,कितने लोग बड़े बड़े बीमारियों से उनकी मौत हो रही है । आज भी आप देश के जितने राज्य सरकार के अस्पताल है जाकर देखेंगे की लोग जमीन पर सो कर अपना इलाज करवा रहे है । कितने लोग घर से बेघर है । देश का ये दुर्भाग्य है कि जो नेता देश और जनता की सेवा करने के लिए आते है वे उनमें से अधिकांश जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाते ।

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