पुरुलिया में मत्स्य पालन से बदल रही है आदिवासी महिलाओं की जिंदगी

पुरुलिया | 27 अक्टूबर 2025 — पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में आदिवासी महिलाओं की जिंदगी अब मत्स्य पालन के जरिए बदल रही है। ICAR–CIFRI बैरकपुर द्वारा शुरू की गई यह पहल अनुसूचित जनजाति घटक (STC) कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य है महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन सिखाकर आमदनी और पोषण सुधारना

📍 कार्यक्रम की प्रमुख बातें

  • जिले के सूखा प्रभावित क्षेत्रों: पुंचा, मानबाजार और आसपास
  • आदिवासी आबादी: लगभग 18.45%
  • 16 जलाशयों में वैज्ञानिक मत्स्य पालन: कुल 140 एकड़ क्षेत्र
  • भाग लेने वाले समूह: 48 महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs)
  • वितरण:
    • 1,600 किलो मछली बीज
    • 22 टन केज ग्रो फीड
    • 4 FRP नावें
    • सजावटी मछली पालन किट (एरेटर्स, चारा, लाइवबेयरर मछलियाँ)

Fishing is changing the lives of tribal women in Purulia

 

 

इस योजना को अनुसूचित जनजाति घटक (STC) कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य है – महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन सिखाकर उनकी आमदनी बढ़ाना और परिवारों में पोषण सुधारना।

यह कार्यक्रम पुरुलिया जिले के पुंचा, मानबाजार और आसपास के क्षेत्रों में चलाया जा रहा है, जो सूखा प्रभावित इलाका है और जहां आदिवासी आबादी लगभग 18.45 प्रतिशत है।

🎓 प्रशिक्षण और पोषण का संयोजन

  • महिलाओं को तालाब प्रबंधन, चारा देना, जल गुणवत्ता बनाए रखना जैसे विषयों पर प्रशिक्षण
  • मछली का 50% हिस्सा स्थानीय स्कूलों के मिड-डे मील कार्यक्रम में दिया जाएगा
  • पुंचा और गोविंदपुर प्राथमिक विद्यालयों में जागरूकता शिविर आयोजित

आईसीएआर–सिफ्री ने स्थानीय वर्षा आधारित जलाशयों (जिन्हें यहां बांध कहा जाता है) में वैज्ञानिक मत्स्य पालन की शुरुआत की है। इस पहल के तहत 16 बांधों में करीब 140 एकड़ क्षेत्र में मछली पालन शुरू किया गया है, जिसमें 48 महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) ने भाग लिया है।

संस्थान की ओर से 1,600 किलो गुणवत्तापूर्ण मछली बीज और 22 टन सीफ्री केज ग्रो फीड वितरित किए गए हैं।

महिलाओं को तालाब प्रबंधन, मछलियों को चारा देने, और जल गुणवत्ता बनाए रखने की ट्रेनिंग भी दी गई, ताकि वे लंबे समय तक मछली उत्पादन जारी रख सकें और स्थायी आमदनी कमा सकें।

Fishing is changing the lives of tribal women in Purulia

 

🗣️ विशेषज्ञों की राय

  • डॉ. बी.के. दास (ICAR–CIFRI):

    “महिलाओं को मत्स्य पालन के माध्यम से सशक्त करना न केवल उनकी आमदनी बढ़ाएगा बल्कि पूरे समुदाय के विकास में मदद करेगा।”

साथ ही, इस योजना के तहत चार एफआरपी नावें (FRP boats) भी दी गईं। आदिवासी महिलाओं में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए पुंचा और गोविंदपुर प्राथमिक विद्यालय में दो जागरूकता शिविर आयोजित किए गए, जिनमें स्थानीय संगठन “मे आई हेल्प” ने सहयोग किया।

कार्यक्रम का एक खास निर्णय यह रहा कि महिला समूहों द्वारा उत्पादित मछली का 50% हिस्सा स्थानीय स्कूलों के मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) कार्यक्रम में दिया जाएगा, जिससे आदिवासी बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल सकेगा।

📊 प्रभाव और विस्तार

  • अब तक 511 से अधिक आदिवासी परिवारों को सीधा लाभ
  • स्थायी आजीविका और पोषण सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
  • घर के पिछवाड़े में भी सजावटी मत्स्य पालन की शुरुआत

इसके अलावा, गोविंदपुर की महिलाओं को एफआरपी टैंक और सजावटी मछली पालन किट (जिसमें एरेटर्स, चारा और लाइवबेयरर मछलियाँ शामिल हैं) भी दी गईं ताकि वे घर के पिछवाड़े में भी छोटे स्तर पर मत्स्य पालन कर सकें।

इस कार्यक्रम से अब तक 511 से अधिक आदिवासी परिवारों को सीधा लाभ मिला है। यह पहल पुरुलिया के ग्रामीण क्षेत्रों में सतत और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Fishing is changing the lives of tribal women in Purulia

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 − three =