स्वर्गीय डॉ. संतराम के सम्मान में सड़क के नामकरण का प्रस्ताव

आसनसोल। हिंदी गवेषक परिषद, आसनसोल के तत्वावधान में गत रविवार को दयानंद विद्यालय में शिल्पांचल के अमूल्य निधि, काजी नजरुल इस्लाम महाविद्यालय, चुरुलिया के अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल एवं ‘हिंदी गवेषक परिषद’ के अन्यतम संस्थापक स्वर्गीय डॉ. संतराम जी के सम्मान में एक स्मरण सभा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ।

प्रथम सत्र (पुष्पार्घ्य सत्र) का आरम्भ सभा की अध्यक्षता कर रहे हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा के पूर्व कुलपति एवं विद्यासागर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रो. (डॉ.) दामोदर मिश्र जी द्वारा स्व. डॉ. संतराम जी की तस्वीर पर माल्यार्पण से हुआ। तत्पश्चात सभा में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों ने स्व. डॉ. संतराम जी की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया साथ ही डॉ. संतराम जी के शोधार्थी डॉ. राजेश पासी जी ने उनकी संक्षिप्त जीवनी का पाठ किया।

द्वितीय सत्र (स्मृति चारण सत्र) के अंतर्गत सभी वक्ताओं ने स्व. डॉ. संतराम जी के प्रति अपने-अपने विचारों एवं अनुभवों को व्यक्त किया। सभी वक्ताओं ने स्व. सन्तराम जी की संत प्रवृत्ति के विविध पहलुओं पर अपनी बातें रखीं।

विचार प्रस्तुति के क्रम में स्व. डॉ. सन्तराम जी की स्मृति एवं जीवन दर्शन को अविस्मरणीय बनाने हेतु उन पर एक स्मारिका प्रकाशित करने का मूल्यवान प्रस्ताव सामने आया तथा साथ ही उनके नाम पर शिल्पांचल के किसी एक सड़क के नामकरण हेतु आसनसोल नगर निगम को आवेदन सौंपने का प्रस्ताव भी आया।

कार्यक्रम का तीसरा और अंतिम सत्र (मौन धारण सत्र) के अंतर्गत सभा में उपस्थित सभी लोगों ने स्व. आत्मा की शांति एवं इस घटना से उनके परिवार को यथाशीघ्र उबरने हेतु आत्मिक बल की कामना करते हुए एक मिनट का मौन धारण किया।

इस सभा की अध्यक्षता कर रहे प्रो. (डॉ.) दामोदर मिश्र जी ने डॉ. संतराम जी के प्रति अपनी शोक संवेदना को बड़ी भावुकता के साथ प्रकट करते हुए उनके साथ गुजारे गए आत्मीय अनुभवों को लोगों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि डॉ. संतराम जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन शिल्पांचल सह पूरे बंगाल में हिंदी के प्रचार प्रसार में लगा दिया था, विपरीत परिस्थितियों में भी वे अपने काम में लगन और निष्ठा के साथ डटे रहे।

सभा में उपस्थित शिल्पांचल के गणमान्यों में श्री नवीन चंद्र सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद, साहित्यकार डॉ. रविशंकर सिंह, कथाकार सृंजय, साहित्यकार डॉ. शिवकुमार यादव, बेचन प्रसाद, डॉ. विजय नारायण, डॉ. मकेश्वर रजक, डॉ. कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, मनोज यादव, डॉ. संजय पासवान, डॉ. मनोज सिंह, दिनेश पाण्डेय, दिनेश कुमार गुप्त ‘गर्ग’

गाँधी प्रसाद नोनिया, डॉ. नीतू गुप्ता, कवि अवधेश, गौतम लामा, डॉ. बिजय रवानी, डॉ. बिजेंद्र कुमार, डॉ. आलम शेख, बैजू नोनिया, तेजेश्वर नोनिया, मदन साव, सोनी साव, मनोहर कुशवाहा, तपन कुमार घासी एवं अन्य लोग मौजूद थे। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. बिजय कुमार प्रसाद (हिंदी विभागाध्यक्ष, बी.बी. कॉलेज, आसनसोल) ने किया।

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