Potato prices fell by 50% due to bumper crop in Bengal, farmers are worried

बंगाल में आलू की बंपर पैदावार से कीमतें 50% गिरीं, किसान परेशान

कोलकाता, (Kolkata) : पश्चिम बंगाल में इस साल आलू की बंपर पैदावार और कमजोर मांग के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना  पड़ रहा है। है। पिछले साल के मुकाबले आलू की कीमतों में 50 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है।

प्रदेश में आलू का उत्पादन 2023-24 के 100 लाख टन के मुकाबले 2024-25 में बढ़कर 115 लाख टन हो गया है, जो एक दशक से भी ज्यादा समय में सबसे अधिक है।

  • रिकॉर्ड उत्पादन पर मांग कम 

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य पतित पाबन दे के अनुसार, इस साल हमारे आलू उत्पादकों ने खेती के रकबे में बढ़ोतरी के साथ बंपर उत्पादन देखा है। लगभग 115 लाख टन का उत्पादन 2012-13 के बाद सबसे अधिक रहा है।

लेकिन इस बंपर फसल के बीच आलू की मांग में मंदी बनी हुई है, जिससे थोक कीमतों में भारी गिरावट आई है।

  • सस्ती सब्जियों ने बिगाड़ा खेल

मांग में कमी के कारणों पर बात करते हुए दे ने कहा कि हमारे राज्य में आमतौर पर जनवरी से मार्च के दौरान खपत के लिए प्रति माह औसतन 4-5.5 लाख टन आलू की आवश्यकता होती है, जबकि जून-सितंबर में मासिक खपत आमतौर पर 7 लाख टन से अधिक हो जाती है।

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लेकिन इस साल जून में आलू की मांग नहीं बढ़ी क्योंकि अन्य सब्जियों की कीमतें कम बनी हुई हैं। जब सब्जियों की कीमतें बढ़ती हैं, तो लोग आम तौर पर उनकी जगह आलू खरीदकर काम चलाते हैं।”

  • किसानों को हो रहा घाटा

पश्चिम बंग प्रगतिशील आलू व्यवसायी समिति के सचिव लालू मुखर्जी के अनुसार, ज्योति किस्म के आलू की थोक कीमतें वर्तमान में लगभग 12-14 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जो एक साल पहले इसी समय लगभग 24-25 रुपये प्रति किलोग्राम थीं।

मुखर्जी ने कहा कि मौजूदा स्थिति में किसानों को घाटा हो रहा है। फरवरी-मार्च में नई फसल आने के बाद किसानों को खेत पर 10 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे। कोल्ड स्टोरेज लोडिंग की कीमतें लगभग 10-11 रुपये प्रति किलो थीं। लेकिन, अब उन्हें लगभग 7-8 रुपये प्रति किलो की कीमत मिल रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल बंगाल के आलू को दूसरे राज्यों में बेचने पर प्रतिबंध के कारण कोल्ड स्टोरेज में अतिरिक्त आलू बचा रह गया था। नतीजतन, इस साल किसानों को पहले पुराना स्टॉक बेचना पड़ा, जिससे नई फसलों की बिक्री में देरी हुई।

  • अंतर-राज्यीय व्यापार पर पाबंदी का असर

पिछले साल ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टॉक बनाए रखने और आलू की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए आलू के अंतर-राज्यीय आपूर्ति को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके विरोध में व्यापारियों ने हड़ताल भी की थी।

Potato prices fell by 50% due to bumper crop in Bengal, farmers are worried

इस साल के हालात पर मुखर्जी ने कहा, “फिलहाल, पश्चिम बंगाल सरकार हमें दूसरे राज्यों को आलू बेचने से नहीं रोक रही है। लेकिन, इस साल दूसरे राज्यों से भी मांग बहुत कम है। ओडिशा आलू के लिए हम पर बहुत अधिक निर्भर था।

लेकिन पिछले साल हम ओडिशा को आपूर्ति नहीं कर सके, इसलिए उत्तर प्रदेश ने अवसर का फायदा उठाया और राज्य को अपना आलू बेच दिया। इस साल भी यूपी के आलू ने ओडिशा के बाजार में बाढ़ ला दी है, जिसके परिणामस्वरूप हम ज्यादा नहीं बेच पाए। हमने महत्वपूर्ण ओडिशा बाजार खो दिया।

  • व्यापारी संघ की सरकार से गुहार 

पतित पाबन दे का अनुमान है कि जब तक कोई अप्रत्याशित घटना नहीं होती, इस साल थोक कीमतें 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर जाने की संभावना नहीं है। व्यापारी संघ अब किसानों को भारी वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं।

मुखर्जी के अनुसार, किसानों को वर्तमान में प्रति किलो लगभग 4 रुपये का घाटा हो रहा है, हम अपनी सरकार से आग्रह करेंगे कि वे सीधे किसानों से आलू खरीदें ताकि सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील में इसका उपयोग किया जा सके।

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