अगले दो महीने के लिए राजनीतिक, धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जानी चाहिए: अभिषेक बनर्जी

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कोविड-19 मामलों में लगातार बढ़ोतरी के बीच सभी राजनीतिक कार्यक्रमों और धार्मिक समारोहों पर अगले दो महीनों तक रोक लगा दी जानी चाहिए। डायमंड हार्बर के सांसद बनर्जी से जब चार नगर निगमों के आगामी चुनावों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग (एससी) उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग से उस याचिका पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर चुनाव स्थगित करने का अनुरोध किया गया है। दिन में अपने निर्वाचन क्षेत्र के अधिकारियों की समीक्षा बैठक में शामिल हुए बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘डायमंड हार्बर लोकसभा सीट के सांसद के रूप में, मैं केवल यह कह सकता हूं कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में क्या करने की जरूरत है। क्षेत्र में 28 फरवरी तक कोई राजनीतिक बैठक या बड़ा धार्मिक कार्यक्रम नहीं होगा।

100-200 से अधिक लोगों की सभा की अनुमति नहीं दी जाएगी। बनर्जी ने कहा कि जल्द ही डबल मास्क निर्वाचन क्षेत्र में अनिवार्य कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, डायमंड हार्बर में कोविड -19 मामलों की निगरानी के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे। मेरा विचार है कि अगले दो महीनों तक सभी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों, सब कुछ बंद कर दिया जाना चाहिए। मानव जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।’’

शनिवार से शुरू हुए गंगासागर मेले के बारे में उन्होंने कहा कि उपस्थित लोगों को उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। मुझे लगता है कि सभी दलों को कोविड-19 के खतरे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़नी चाहिए। यह राजनीतिक लड़ाई में शामिल होने का समय नहीं है। आइये, हम सभी पहले वायरस से लड़ें।

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘हम काफी समय से निकाय चुनावों को स्थगित करने की मांग कर रहे थे। एसईसी और सरकार ने इस सब के दौरान हम पर कोई ध्यान नहीं दिया। माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने सुझाव दिया कि निर्णय लेने से पहले एक सर्वदलीय बैठक होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक की मांग कर रहे हैं, लेकिन तानाशाही राज्य प्रशासन और पक्षपातपूर्ण एसईसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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