।।रात की नदी।।
राजीव कुमार झा
उदासी के बाद
कितने दिन चले आते
खत्म हो जाता
कोई रास्ता।
पुराना समय
याद आता
शाम की चुप्पी
सितारों का आना
चाँद का हँसना
रात की नदी का
कलकल बहना।
दूर दिशाओं में
अकेले गुम होना
उजाले से भरा
मन का कोना
कभी कुछ कहना
कभी कुछ नही कहना।

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