अहमदाबाद विमान दुर्घटना के दिवंगतों को समर्पित कविता : जो चले गए उस यात्रा में

।।जो चले गए उस यात्रा में।।
अनुराधा वर्मा “अनु”,
कानपुर

जो चले गए उस यात्रा में, उनका नाम हवाओं में दर्ज है,
उनकी आत्मा के शांति हेतु हाथ उठे, ये हमारा फर्ज है।

न थे वो सिपाही जंग के, न थे किसी जुल्म के साझेदार,
फिर भी मौत की गोद में समा जाना, एक बेबसी का कर्ज है।

कुछ ने शुरू ही की थी ज़िंदगी, कुछ थे सपनों के किनारे,
अब हर एक तस्वीर की आँखों में एक खामोश मर्ज है।

कभी माँ की लोरी थे वो, कभी बेटी की किलकारी,
अब आँगन में उनकी यादें ही बसती हैं, और दर्द की दस्तक हरर्ज़ है।

जो सुबह लौटने वाले थे, वो शाम में लिपटे चले गए,
अब हर घर में बुझा चिराग है, और अंधेरे की तर्ज है।

नजरों में आँसू, होंठों पर दुआएँ, दिल में टीस समाई है,
उनकी कमी नहीं भर सकती, ये एक सच्चाई की अर्ज है।

उनके जाने से नहीं रुकेगी दुनिया, पर ठहर गया हर सपना,
उनके जाने की गूंज हर दिल में आज भी एक दर्ज है।

श्रद्धांजलि सहित –
जो चले गए, वो भले ही दिखते नहीं,
पर हवाओं में उनकी साँसें घुली हैं।
हर प्रार्थना में, हर मौन में,
वो हमारे साथ हैं,
हमारी यादों में अमर हैं।
ॐ शांति।
भारत उन्हें कभी भुला नहीं पाएगा।

अनुराधा वर्मा “अन्नू”
लेखिका

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