राजीव कुमार झा की कविता – ‘स्कूल के बच्चे’

।।स्कूल के बच्चे।।
राजीव कुमार झा

सुबह घर से निकलते,
जिंदगी की राहों पर अकेले चल पड़ते,
घर के रास्ते में कहीं ठहरकर,
मदारी का खेल देखते,
करतबों की दुनिया से,
बाहर खड़े बच्चे,
स्कूल के अहाते में खेलकर,
वापस कक्षा में चले आते,
छुट्टियों में माँ के साथ,
नानी के घर चले जाते,
बस में बैठे बच्चे,
जाड़े की धूप में,
रंगबिरंगे स्वेटर पहनकर,
जन्मदिन में दोस्तों के घर जाते,
गीत गाते स्कूल से,
धूप में घर लौट आते,
जो बच्चे स्कूल नहीं जाते,
कभी उसके बारे में,
किसी को कुछ भी नहीं बताते,
किसी दिन उन्हें पास बुलाते,
स्कूल की कहानियाँ सुनाते।

राजीव कुमार झा

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