In the temple of Dauji in Mathura, in the middle of Huranga, Hurriyarins whipped the Hurriyas.

अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : फागुन की पुरवाई

।।फागुन की पुरवाई।।
अशोक वर्मा “हमदर्द”

यौवन छाया आम पर, डाली-डाली झूम,
फागुन आया गाँव में, मच गई रंगों की धूम।

पुरवाई मदहोश है, चूमे तरु की डाल,
महुआ मादक गंध से, भरता मीठे गाल।

सरसों हँसती खेत में, बौराएँ सब गाछ,
मौसम का उल्लास है, पंछी गाएँ नाच।

रंग-गुलाल उड़ने लगे, बजने लगे मृदंग,
फागुन रस बरसा गया, छेड़ गया मधुरंग।

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक

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