पितृ विसर्जन, अमावस्या तिथि का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध एवं श्राद्ध पक्ष समाप्त 02 अक्तूबर बुधवार को

वाराणसी। पितृ पक्ष में पितृ धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं। आश्विन माह की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष पितृ विसर्जन,अमावस्या तिथि का श्राद्ध, अज्ञात मृत्यु तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध एवं श्राद्ध पक्ष 02 अक्तूबर बुधवार को समाप्त होगा।

किसी परिजन की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो उनका श्राद्ध उस तिथि के दिन ही किया जाता है। अगर जिनको पितरों के देहांत की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध कहा जाता है।

पितृ विसर्जन विधि : सर्वपितृ अमावस्या के दिन शाम दो-दो पूड़ियों पर भोजन, चावल, फल, मिठाई, पुष्प, दक्षिणा आदि घर की मुख्य द्वार (चौखट) पर दोनों तरफ रख दें उनके ऊपर सरसों के तेल का एक-एक दीपक जलाएं, जिसका अर्थ है कि पितृ जाते समय भूखे न जायें। इसी तरह दीपक जलाने का आशय उनके मार्ग को अलोकित करना है। अंत में पितरों से यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में जाएं।

श्राद्ध के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण एवं पूजन कर पात्र में सबसे पहले देवता, पितरों, गाय माता, कौवे, कुत्ते, चींटी के लिए भोजन का थोड़ा सा भाग निकालें, फिर ब्राह्मणों एवं जरूरतमंद को भोजन करवाए एवं दक्षिणा दे।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen + sixteen =