रामनवमी के अवसर पर “नव-सृजन: एक सोच” साहित्यिक संस्था ने आयोजित किया काव्य-उत्सव

कोलकाता। रविवार “नव- सृजन: एक सोच” साहित्यिक संस्था ने रामनवमी के अवसर पर ऑनलाइन काव्य उत्सव का आयोजन किया। इस उत्सव में देश के विभिन्न प्रांतों से कवि और कवयित्रियों ने ऑनलाइन शिरकत किया। कार्यक्रम की शुरुआत मंच संचालन का कार्यभार संभाल रही मौसमी प्रसाद ने दीप जलाकर किया।

तत्पश्चात मुंबई से इस आयोजन का हिस्सा बनी प्रसिद्ध कवयित्री ज्योति कुंदर ने सरस्वती वंदना गाकर इस कार्यक्रम को गति प्रदान की। दिल्ली से कार्यक्रम का हिस्सा बने राजेंद्र सिंह रावत जी ने अपनी रचना “समग्र आकाश प्रभु तेरा ही प्रकाश, तू ही तू” से गोष्ठी का माहौल भक्तिमय बना दिया।

कोलकाता के हास्य-व्यंग्य के युवा कवि डॉ. राजन ने प्रभु राम पर अपना गीत “सब करते अर्पित तन मन धन, मैं क्या दूं तुम्हें मेरे राम, ये तन नश्वर और मन झूठा माया से तुम्हें क्या काम” का पाठ कर सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया।

कोलकाता से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले तथा देश के विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों से कविता पाठ करने वाले कवि नवीन कुमार सिंह ने जब अपनी रचना “मंदिर में बस गए राम, अब मन में राम बसाना है, राम चरित आदर्शो को अब जीवन में अपनाना है” का पाठ किया तो माहौल सचमुच राममय हो गया।

कोलकाता से ही जुड़ी पत्रकार, कवयित्री, कहानीकार एवं समाजसेवी वनिता झारखंडी ने जीवन से जुड़ी एक बेहद गहरी रचना “मैं बांध लूंगी एक नाव, जो तैरेगी लहरों पर” का पाठ किया।

कोलकाता की प्रसिद्ध कवयित्री स्वागता बसु ने अपनी रचना “जाने क्यों ये दिल हारा है हमने रूठी रातों पर, अब तो हम भी सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर” का पाठ कर सबको मोहित कर दिया।

मिदनापुर (पश्चिम बंगाल) से जुड़ी मिदनापुर कॉलेज की हिन्दी की शिक्षिका सीमा कुमारी साह ने “मिट्टी के पुतले” शीर्षक एक मार्मिक रचना का पाठ कर सबको भावविह्वल कर दिया।

दिल्ली से जुड़ी वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवयित्री अपर्णा थपलियाल ने प्रभु राम के अभिनंदन में दो रचनाओं का पाठ किया। उनकी एक रचना की पंक्ति “राम आए तो अयोध्या में दमक जाग उठी, सोए पैरों में घुंघरुओं की छनक जाग उठी” से माहौल एक बार फिर से राममय हो गया।

मुंबई से जुड़ी ज्योति कुंदर ने भी अपने काव्य संग्रह से दो वैचारिक कविता “होड़” और “अच्छा लगता है” का पाठ किया। गौरतलब है कि ज्योति कुन्दर के दो गीतों को प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन जी ने आवाज दी है।

कोलकाता के विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े रमाकांत सिन्हा ने भी प्रभु राम के अभिनंदन में एक बेहतरीन रचना का पाठ कर सबको भावविभोर कर दिया। संचालिका की भूमिका निभा रही कवयित्री मौसमी प्रसाद ने अपनी कविता की पंक्ति “हे माँ दुर्गे, माँ जगदम्बे, हम सब का तुम कल्याण करो” से माँ शक्ति दुर्गा देवी का भी अभिनंदन किया।

दिल्ली से जुड़ी कवयित्री मंजू चौहान रवि ने प्रभु राम के अभिनंदन में लिखी अपनी सिर्फ चार पंक्तियों से सबका मन जीत लिया। पटना से जुड़े संस्था के जनवादी कवि रवि कुमार रवि ने अपनी रचना “भूख खौलती है पेट के भीतर ही भीतर और आप हैं कि भूख को महज भूख लिखते हैं” का पाठ कर मानों समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को जागृत कर दिया।

कोलकाता से जुड़े कवि अमित कुमार अम्बष्ट ‘आमिली’ ने भी अपनी रचना “राम ही संसार हैं” पढ़कर एक बार फिर प्रभु राम को याद किया। पटना से जुड़ी वरिष्ठ साहित्यकार, लघुकथाकार, कवयित्री एवं ‘स्पन्दन’ पत्रिका की संपादिका विभा रानी श्रीवास्तव ने एक रचना का पाठ करते हुए आमंत्रित सभी कवि-कवयित्रियों एवं श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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