कबीर जयंती के अवसर पर हुआ संत कबीर की वाणी : समकालीन प्रासंगिकता के संदर्भ में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उज्जैन। देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा कबीर जयंती के अवसर पर संत कबीर की वाणी : समकालीन प्रासंगिकता के संदर्भ में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो. ब्रजकिशोर शर्मा ने की। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, मॉरीशस; डॉ. दक्षा जोशी, अहमदाबाद; ओस्लो नॉर्वे से सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, डॉ. अनसूया अग्रवाल रायपुर; मोहनलाल वर्मा, जयपुर; डॉ. प्रभु चौधरी आदि ने विचार व्यक्त किए।

मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि संत कबीर की वाणी, लोक वाणी है। उनकी मान्यता है कि समाज में बदलाव तभी होगा जब सभी के अन्दर के राम की पहचान होगी। उन्होंने सदियों पहले तन और मन को राम का मंदिर बनाने का आह्वान किया। संत कबीर ने कुंडली में बसे कस्तूरी की तरह घट-घट में बसे राम के साक्षात्कार का सन्देश दिया। वे प्रेम के पीड़ा के गायक हैं, जिसकी आवश्यकता वर्तमान विश्व में व्याप्त हिंसा, आतंक और कुरीतियों को नष्ट करने के लिए है।

आयोजन में सम्मिलित मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. दक्षा जोशी ने संत कबीर जी के योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि संत कबीर शास्त्र ज्ञान की परम्परा से मुक्त होने के बाद भी अपनी वाणी द्वारा समाज में बदलाव लाने में सफल रहे। उन्होंने प्रेम के ढाई अक्षर से सम्पूर्ण समाज को भाईचारे का पाठ पढ़ाया।

मॉरीशस के शिक्षाविद डॉ. सोमदत्त काशीनाथ ने कहा कि दुनिया में जहाँ जहाँ भारतवंशी गए हैं वहां तक कबीर वाणी पहुंची है। अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद संरक्षक प्रो. ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि रविन्द्रनाथ ठाकुर ने विश्व साहित्य को एक महान कवि के रूप में कबीर दास से परिचित कराया था। कबीर क्रांतिकारी कवि थे, वे किसी भी प्रकार के विरोध करने से नहीं डरते थे।

राष्ट्रीय संयोजक पदमचंद गांधी, जयपुर ने कबीर की साखियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शरीर नश्वर है, जिस पर गर्व करना उचित नहीं है। सुषमा जी पुणे महाराष्ट्र ने कहा से संत कबीर महान समाज सुधारक थे। आयोजन की शुरुआत सरस्वती वन्दना श्वेता मिश्रा बरेली ने की। डॉ. अरुणा शुक्ला, इंदौर ने संत कबीर के दोहे प्रस्तुत किए। प्रदेश महाराष्ट्र संयोजक डॉ. मुमताज पठान ने स्वागत भाषण तथा प्रस्तावना में संत कबीर के व्यापक प्रभाव की चर्चा की।

इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल डॉ. हरिसिंह पाल, नागरी लिपि परिषद दिल्ली; ममता सक्सेना, डॉ. अरूणा शुक्ला, रीना, गोरखपुर; सुवर्णा जाधव, पुणे; डॉ. अनीता तिवारी, विजयलक्ष्मी, शहनाज शेख नांदेड़; भरत दवे, सविता श्रीवास्तव, सरोज दवे सवि, सोनू कुमार, पटना आदि उपस्थित थे। आयोजन का संचालन श्वेता मिश्रा बरेली द्वारा किया गया। संस्था के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. प्रभु चौधरी ने आभार प्रदर्शन किया।

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