आषाढ़ गुप्त नवरात्रि श्री दुर्गाष्टमी एवं श्रीदुर्गा नवमी के दिन कन्या पूजन के समय अपनी राशि अनुसार करें दान, चमक जाएगा भाग्य!

वाराणसी। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की श्री दुर्गाष्टमी 3 जुलाई गुरुवार को और श्री दुर्गा नवमी 4 जुलाई शुक्रवार को मनाई जाएगी। व्रतों और पर्वों की तिथियों को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है कि व्रत किस दिन रखें। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून गुरुवार से आरंभ हुए थे और कन्या पूजन व देवी दुर्गा की साख विसर्जन के साथ पूर्ण होंगे।

पंडित श्री मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि इस वर्ष श्री दुर्गाष्टमी 3 जुलाई गुरुवार तथा श्री दुर्गा नवमी 4 जुलाई शुक्रवार को मनाई जाएगी।
देवी दुर्गा के कुछ भक्त अष्टमी को और कुछ नवमी को साख विसर्जन एवं कन्या पूजन करते हैं। यदि किसी कारणवश भक्त अष्टमी या नवमी को पूजन न कर पाएं तो चतुर्दशी तिथि को भी यह पूजन किया जा सकता है।

नवरात्रि में उपयोग की गई सारी पूजन सामग्री जैसे कलश, परात में बोए गए ज्वार (देवी साख), मिट्टी व अन्य चीजें किसी नदी या तालाब में विसर्जित करनी चाहिए। प्लास्टिक या पॉलीथीन का विसर्जन न करें, इससे जल प्रदूषण होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार 3 से 9 वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप होती हैं। बिना कन्या पूजन के नवरात्र अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। कुछ परिवारों में यह पूजन अष्टमी को, कुछ में नवमी को किया जाता है।

इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक नौ कन्याओं एवं एक बालक को भोजन कराकर पूजन किया जाता है। कन्याओं के चरण धोकर उन्हें तिलक व मौली बांधी जाती है। खीर, पूरी, हलवा, काले चने आदि प्रसाद स्वरूप बनाए जाते हैं। पूजन के अंत में कन्याओं को भेंट व दक्षिणा दी जाती है।

कन्याओं से इन मंत्रों द्वारा करें प्रार्थना
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।

जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरूपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोऽस्तु ते।।

।।कुमार्यै नमः, त्रिमूर्त्यै नमः, कल्याण्यै नमः, रोहिण्यै नमः, कालिकायै नमः, चण्डिकायै नमः, शांभव्यै नमः, दुर्गायै नमः, सुभद्रायै नमः।।

राशि अनुसार कन्या पूजन के समय करें यह विशेष दान :
(नोट: अपनी राशि वही मानें जो जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति के अनुसार हो।)

मेष राशि : लाल वस्त्र, लाल रुमाल, लाल कंगन, राजमाश, गुड़, नारियल, घी, केसर, 21 रुपये भेंट करें।
वृष राशि : चांदी के आभूषण, आटा, चीनी, चावल, दूध, सफेद वस्त्र दें।
मिथुन राशि : हरे वस्त्र, कांसे का बर्तन, मूंग की दाल, घी, हरा फल दें।
कर्क राशि : चांदी की थाली, गिलास, चम्मच, चावल, मिश्री, दूध, सफेद वस्त्र भेंट करें।

सिंह राशि : सोने के आभूषण, तांबे का बर्तन, गुड़, घी, माता की चुनरी, केसर, 11 रुपये दें।
कन्या राशि : हरे वस्त्र, चांदी के सिक्के, पुस्तकें भेंट करें।
तुला राशि : सफेद वस्त्र, चावल, आटा दें।
वृश्चिक राशि : माता की लाल चुनरी, गुड़, घी दें।

धनु राशि : पीले वस्त्र, कांसे का पात्र, हल्दी, घी, केले दें।
मकर राशि : चांदी के सिक्के, लोहे की वस्तु, नीले वस्त्र, तेल या मरहम दें।
कुंभ राशि : चांदी के कंगन, नीले वस्त्र आदि दें।
मीन राशि : पीले वस्त्र, सोने के आभूषण, हल्दी अवश्य दें।

(सुझाव: आप इनमें से एक या अधिक वस्तुएं अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करें।)
इस प्रकार कन्या पूजन विधिवत संपन्न होता है। अंत में नवरात्र पारण कर व्रत का समापन किया जाता है।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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