उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी ने भाजपा से बनाई दूरी, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

लखनऊ। Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से खुद को अलग कर लिया है और अपने दम पर आगामी पंचायत चुनाव लड़ने का एलान किया है। निषाद (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने रविवार को आईएएनएस को बताया कि भाजपा अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के तहत निषाद समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने को लेकर उनकी पार्टी से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही।

उन्होंने कहा कि हम आगामी चुनावों के लिए अपनी ‘चर्चा’ और ‘पर्चा’ के साथ तैयार हैं। संजय निषाद ने आगे कहा कि 166 विधानसभा सीटें हैं जहां निषाद समुदाय की उपस्थिति नगण्य है। आरक्षण की हमारी मांग जायज है और मुझे नहीं पता कि भाजपा इस मुद्दे पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है। यदि वे हमारा समर्थन चाहते हैं, तो उन्हें हमें आरक्षण देना चाहिए।

निषाद समुदाय में केवट, मल्लाह और बिंद जैसी उप-जातियां शामिल हैं। निषाद पार्टी ने 2019 में भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था। यह अनुसूचित जाति वर्ग के तहत 17 अन्य पिछड़ा समुदायों (ओबीसी) को फिर से संगठित करने के लिए लड़ रहा है, लेकिन मामला कानूनी लड़ाई में फंस गया है। निषाद पार्टी ने निषाद समुदाय को एससी का दर्जा देने की अपनी लंबे समय से लंबित मांग के समर्थन में एक करोड़ से अधिक हस्ताक्षर प्राप्त करने की मुहिम शुरू की है और पत्रों को प्रधानमंत्री को भेजा जा रहा है।

हस्ताक्षर अभियान के साथ पार्टी ने न केवल निशादों, बल्कि अन्य समुदायों से भी समर्थन प्राप्त करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया है। संजय निषाद ने बताया कि सांसद जन प्रतिनिधि हैं। अब लोग पूछ रहे हैं कि वादा कब पूरा होगा। हम मछुआरों और अन्य जातियों के लिए आरक्षण और एससी प्रमाणपत्र चाहते हैं। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद थे, तब उन्होंने संसद में समुदाय के लिए आरक्षण की वकालत की थी। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संत कबीर नगर से भाजपा के सांसद हैं।

निषाद पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा से दूरी बनाने वाला दूसरा राजनीतिक संगठन है। 2019 में, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भाजपा से रिश्तों को तोड़ लिया था। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी राजभर केंद्रित पार्टी ने अब एआईएमआईएम और अन्य छोटे संगठनों के साथ गठबंधन किया है जिन्हें भीगीदारी संकल्प मोर्चा कहा जाता है। निषाद समुदाय को एससी का दर्जा दिलाने के उद्देश्य से अगस्त 2016 में निषाद पार्टी का गठन किया गया था। संख्या में कम होने के बावजूद पार्टी अब राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की इच्छा रखती है।

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