‘पराक्रम दिवस’ पर राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा स्मरण किये गए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

‘नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के लिए प्रेरणा पुरुष थे स्वामी विवेकानंद’ – डॉ. ऋषिकेश राय

कोलकाता। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम की दक्षिण हावड़ा एवं मध्य कोलकाता इकाइयों द्वारा सम्मिलित रूप से, संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष – डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में एक अभूतपूर्व काव्य आवृत्ति संध्या का सफल आयोजन किया गया। जिसमें संयोजन का भार संयुक्त रूप से सम्भाला दक्षिण हावड़ा की अध्यक्ष हिमाद्री मिश्रा एवं मध्य कोलकाता की महामंत्री स्वागता बसु ने। संचालन के दायित्व का निर्वाह किया नीलम झा एवं सौमि मजुमदार ने। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. ऋषिकेश राय एवं अन्य आमंत्रित अतिथियों में प्रांतीय उपाध्यक्षा श्यामा सिंह, प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह एवं प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने उपस्थित होकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।

कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ आलोक चौधरी की सुमधुर राष्ट्र वन्दना एवं स्वागता बसु के स्वागत भाषण के साथ। तत्पश्चात, मुख्य वक्ता डॉ. ऋषिकेश राय ने नेताजी पर अपना वक्तव्य रखते हुए कहा ‘नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के लिए प्रेरणा पुरुष थे स्वामी विवेकानंद’ एवं स्वामी विवेकानंद को गुरु रूप में प्राप्त करने की सुभाष जी की प्रबल चाह थी। ऐसे ही कई तथ्यों से सभी श्रोताओं को ऋषिकेश जी ने अवगत कराया और सभी को नेताजी के नक्शे क़दम पर चलने की हिदायत दी। इसके बाद, पटल पर उपस्थित सभी कलमकारों ने प्रसिद्ध रचनाकारों की देशभक्ति से ओत प्रोत कविताओं की आवृत्ति करते हुए नेताजी के स्मरण में श्रद्धा के पुष्प अर्पित किये। इस कड़ी में दिल्ली से जुड़ी रेखा झा, प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह एवं प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने कवि गोपाल प्रसाद व्यास की कविता ‘है समय नदी की बाढ़’ सुनाई। व्यास जी की ही एक अन्य रचना ‘खूनी हस्ताक्षर’ का पाठ किया रिशिका सरावगी ने।

प्रांतीय उपाध्यक्षा श्यामा सिंह ने भी व्यास जी की ही एक रचना ‘देखा पूरब में आज सुबह’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर कुछ बांग्ला रचनाएँ भी प्रस्तुत की गयी जिनमें आलोक चौधरी द्वारा द्विजेन्द्र लाल राय की रचना ‘धोनो धान्नो पुष्प भोरा’ एवं हिमाद्री मिश्र द्वारा रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचना ‘ओ आमार देशेर माटी’ बेहद सराही गयी। मध्य कोलकाता के अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा ने साहिर लुधियानवी की ग़ज़ल ‘हर तरह के जज़्बात का ऐलान हैं आँखें’ कही और महामंत्री स्वागता बसु ने मदन मोहन समर की रचना ‘संकल्पों के साधक हो’ पढ़ी। देवेश मिश्र ने जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमाद्री तुंग श्रृंग से’ सुनाकर ओज की लहर उठाई और विकास ठाकुर ने माखन लाल चतुर्वेदी की रचना ‘पुष्प की अभिलाषा’ सुनाई। नीलम मिश्रा ने हरिओम पवार की रचना ‘कश्मीर’ पढ़ी और सौमि मजुमदार ने दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल ‘हो गयी है पीर पर्वत सी’ प्रस्तुत की।

नीलम झा ने रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘सिपाही’ की प्रस्तुति दी और अमित मिश्रा ने अनुष्का मिश्रा की रचना ‘रक्त में उबाल हो’ सबके सामने रखी। इन्हीं के मध्य उपस्थित भास्कर झा ने अपनी स्वरचित रचना ‘मुर्दा है वह जीवन जिसमें ज़िंदा सुभाष चन्द्र बोस नहीं’ सुनाकर सभी का मन मोह लिया। अंत में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ० गिरधर राय ने रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘कलम आज उनकी जय बोल’ के पाठ के माध्यम से नेताजी जैसे सभी अमर क्रांतिकारियों का जयगान सुनाया और अपनी चिर प्रचलित रचना ‘मेरा क्या मैं तो ऐसे ही गीत सुनाऊंगा’ प्रस्तुत कर कार्यक्रम को शीर्ष पर पहुंचा दिया। काव्य आवृत्ति की यह अपूर्व संध्या हिमाद्री मिश्र द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही सुसंपन्न हुई।

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