मोदी ने कहा-देश की क्षमता बहुत ज्यादा, राज्य और केंद्र मिलकर करें काम

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है। सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है इस वर्ष के बजट पर जिस तरह का पॉजिटिव रिस्पॉन्स आया है, उसने जता दिया है कि मूड ऑफ द नेशन क्या है। देश मन बना चुका है। देश तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, देश अब समय नहीं गंवाना चाहता है। हमने कोरोना कालखंड में देखा है कि कैसे जब राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ। भारत के विकास की नींव यह है कि केंद्र और राज्य एक साथ काम करते हैं और एक निश्चित दिशा की ओर बढ़ते हैं और सहकारी संघवाद को और अधिक सार्थक बनाते हैं। यही नहीं, हमें न केवल राज्यों बल्कि जिलों में भी प्रतिस्पर्धी, सहकारी संघवाद लाने की कोशिश करनी होगी।

मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
-2014 के बाद से गांवों और शहरों को मिलाकर देखें तो 2 लाख से ज्यादा घरों के बनाने का काम हुआ है। अच्छी क्वालिटी के घर बनाए जा रहे हैं। प्रदूषित पानी से बीमारी न हो, इस दिशा में मिशन मोड में काम हो रहा है।

-हमें निवेश के सभी स्रोतों को इस क्षेत्र से जोड़ना होगा। भारत दक्षिण पूर्व एशिया में एक रॉ (कच्ची) मछली का निर्यातक है। क्या हम बड़े पैमाने पर प्रसंस्कृत मछली उत्पादों का निर्यात नहीं कर सकते हैं?

-इस साल के बजट में, बुनियादी ढांचे के लिए प्रदान किए गए फंड पर भी बहुत चर्चा की जा रही है। यह भारत की अर्थव्यवस्था में मदद करेगा और रोजगार के बहुत सारे अवसर पैदा करेगा। इसका गुणक प्रभाव होगा।

-केंद्र और राज्य के बीच नीतिगत ढांचा और सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है। तटीय (कोस्टल) राज्य इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। ब्लू (समुद्र) अर्थव्यवस्था के निर्यात में असीमित अवसर हैं। हमारे तटीय राज्यों को इसके लिए अतिरिक्त पहल क्यों नहीं करनी चाहिए?

-बीते वर्षों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाई गई है। इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में भी देश के कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है।

-नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में राज्यों की हिस्सेदारी 40% है और इस प्रकार, राज्यों और केंद्र को अपने बजट को सिंक्रोनाइज करना चाहिए और प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।

-कॉपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्न पूर्वक कॉम्पिटेटिव कॉपरेटिव फेडरलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच, बल्कि डिस्ट्रिक्ट तक ले जाना है, ताकि विकास की स्पर्धा निरंतर चलती रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *