मेक्सिको : आम जनता ने सुप्रीम कोर्ट, जिला मजिस्ट्रेट व जजों के चुनाव में वोट डाले

मैक्सिको विश्व का पहला देश जहां न्यायिक पदों के लिए सीधे आम जनता ने वोट डाला-सिर्फ 13 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई
अदालत को लोकतांत्रिक बनाने सीधा आम जनता द्वारा चुनाव, अनोखा विवादित व लोकतंत्र का मजाक है, न्यायिक व्यवस्था राजनीतिक अपराधिक व अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में होगी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर अनेक देशों में न्यायिक क्षेत्र को अपने अधीन रखने में तेज चाले चलती रही है, तो अनेकों देशों ने अपने संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति, हाईकोर्ट जिला सत्र न्यायालय संबंधी कुछ नियमों को संशोधित कर, अर्थात संविधान को संशोधन कर पूरा पावर अपने हाथों में कर लिया है, जिसका सटीक उदाहरण पाकिस्तान, इजराइल सहित कुछ देश हैं, व अनेकों देश इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। क्योंकि अनेक देशों में हमने देखे हैं कि न्यायालय द्वारा अनेक बड़े-बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे भेज दिया है व केंद्र एवं राज्य सरकारों के निर्णयों को पलट भी दिया है, हालांकि वे सरकारें तुरंत अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट देती है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण अभी दिल्ली केस में सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को अध्यादेश लाकर पलट दिए, इस खेल की शुरुआत करीब 1986 में शाहबानो केस से हुई जिसमें तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अध्यादेश लाकर पलट दिया गया था।

आज इस बात की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मेक्सिको में 11 सितंबर 2024 को एक कानून पारित कर दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था, जिसने वोटर को सभी स्तरों पर जजों को चुनने की इजाजत दे दी, जिसमें ऊपरी सदन में बिल के पक्ष में 68 व विरोध में 41 वोट पड़े थे व संशोधन के साथ दो तिहाई बहुमत से पारित हो गया था, व 2025 व 2027 में जजों के चुनाव की व्यवस्था की गई थी इसके पहले चरण में दिनांक 2 जून 2025 को चुनाव हुए जिसमें करीब 2700 से अधिक पदों के लिए 7700 उम्मीदवारों ने भाग लिया था।

मेरा मानना है कि इस पारित किए गए कानून व उसके अनुसार किए गए चुनाव को संयुक्त राष्ट्र या वैश्विक मंचों द्वारा खारिज करने की कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह व्यवस्था पूरी न्यायिक प्रणाली का राजनीतिकरण व अपराधीकरण लाने की संभावना बढ़ जाएगी व न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाएगी जिसे आम जनता का विश्वास न्याय व्यवस्था से पूरी तरह से उठ जाएगा। चूँकि विश्व में मेक्सिको एक ऐसा पहला देश बन गया है जहां न्यायायिक पदों के लिए सीधे आम जनता ने वोट डाला सिर्फ 13 पेर्सेंट वोटिंग दर्ज की गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अदालतों को लोकतांत्रिक बनाने, सीधा आम जनता द्वारा चुनाव, अनोखा विवादित व लोकतंत्र का मजाक है- न्यायिक व्यवस्था राजनीतिक अपराधिक व अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में होगी।

साथियों बात अगर हम मेक्सिको में आम जनता द्वारा जजों के चुनाव में 13 प्रतिशत वोट देकर नकारने की करे तो, मेक्सिको द्वारा देशव्यापी चुनावों के माध्यम से अपनी न्यायिक प्रणाली में सुधार करने के महत्वाकांक्षी प्रयास को मतदाताओं से बहुत कम प्रतिक्रिया मिली है। राष्ट्रपति द्वारा इस प्रक्रिया को सफल बताए जाने के बावजूद, मतदान में पात्र मतदाताओं का केवल 13 प्रतिशत हिस्सा ही शामिल होने का अनुमान है, जो हाल के राष्ट्रपति चुनावों में 60 प्रतिशत भागीदारी के बिल्कुल विपरीत है। अपने पैमाने में अभूतपूर्व इस सर्वेक्षण का उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों सहित लगभग 3,000 न्यायिक पदों का चयन करना था।

आलोचकों का तर्क है कि इस दृष्टिकोण से सत्तारूढ़ पार्टी को सरकार की सभी शाखाओं में सत्ता को मजबूत करने की अनुमति मिल सकती है, जो संभावित रूप से न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता कर सकती है। कम मतदान का कारण मतदाताओं का भ्रम, उम्मीदवारों के बारे में जानकारी की कमी और योग्यता के आधार पर न्यायाधीशों की नियुक्ति के बजाय उन्हें चुनने के बारे में व्यापक संदेह है। जैसे-जैसे परिणाम आ रहे हैं, इस बारे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह लोकतांत्रिक प्रयोग मेक्सिको की टूटी हुई न्याय प्रणाली को संबोधित करेगा, जहां सार्वजनिक अविश्वास के कारण 10 प्रतिशत से भी कम अपराध दर्ज किए जाते हैं। इन चुनावों के परिणाम मैक्सिकन शासन में शक्ति संतुलन के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।

मीडिया की रिपोर्ट से बता दें कि मैक्सिको में इतिहास में पहली बार न्यायिक चुनाव हो रहे हैं, जिसने देश में विवाद खड़ा कर दिया है। इसने उन मतदाताओं को उलझन में डाल दिया है, जो अब भी इस प्रक्रिया को समझने की कोशिश कर रहे हैं। इस नए बदलाव से देश की अदालत प्रणाली पूरी तरह बदल सकती है। पिछले साल के अंत में मेक्सिको की सत्तारूढ़ पार्टी ने अदालत प्रणाली में बड़े बदलाव किए थे। इसका विरोध करते हुए कई लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके न्यायपालिका पर कब्जा करना चाहती है, जो अब तक उसके नियंत्रण से बाहर रही है।

साथियों बात अगर हम मेक्सिको में इस चुनाव के पक्ष और विपक्ष में अनेकों विचारों को जानने की करें तो कानूनी संगठन की निदेशक ने कहा, यह अदालत प्रणाली को अपने काबू में करने की कोशिश है। न्यायपालिका अब तक सत्ता वालों की आंख की किरकिरी बनी हुई थी। मगर एक मजबूत लोकतंत्र में यही संतुलन बनाए रखने का जरिया होता है। अब तक न्यायाधीशों की नियुक्ति उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर होती थी, लेकिन इस बार करीब 7,700 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से 2,600 से ज्यादा न्यायिक पदों के लिए जनता ने वोट की।

राष्ट्रपति और उनकी पार्टी का कहना है कि यह चुनाव न्याय व्यवस्था से भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक कदम है, क्योंकि देश लंबे समय से अपराधियों को सजा ना मिल पाने की समस्या से जूझ रहा है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि इससे लोकतंत्र कमजोर होगा और अपराधी व भ्रष्ट ताकतें न्यायपालिका में घुसपैठ कर सकती हैं। डिफेन्सोरक्स’ जैसे नागरिक समूहों ने कई उम्मीदवारों पर सवाल उठाए हैं। इनमें कुछ ऐसे वकील शामिल हैं, जो मैक्सिको के कुख्यात ड्रग माफियाओं के मुकदमे लड़ चुके हैं। इसके अलावा, कुछ ऐसे अधिकारी भी चुनाव लड़े हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार के कारण पद छोड़ना पड़ा था और यहां तक कि कुछ पूर्व अधिकारी जो अमेरिका में ड्रग तस्करी के मामले में जेल की सजा भी काट चुके हैं।

कुछ उम्मीदवारों का संबंध एक धार्मिक समूह से है, जिसके आध्यात्मिक नेता अमेरिका में बच्चों के यौन शोषण के जुर्म में सजा काट रहे हैं। दूसरी तरफ, मतदाता प्रक्रिया को लेकर भ्रमित हैं। एक विशेषज्ञ के अनुसार, चुनाव की योजना जल्दबाजी में बनाई गई है और लोग जानते ही नहीं कि किसे वोट दें। कई जगहों पर एक-एक पद के लिए 100 से ज्यादा उम्मीदवार हैं और उम्मीदवारों को न तो अपनी पार्टी की पहचान बताने की अनुमति है, न ही वे खुलकर प्रचार कर सकते हैं। नतीजा ये है कि लोग आंख मूंदकर वोट डालने जा रहे हैं। रविवार के न्यायिक चुनावों में संघीय,राज्य और स्थानीय न्यायाधीशों के 2,700 पदों के लिए अभी भी मतों की गिनती जारी थी, तथा सुप्रीम कोर्ट के नौ पदों के लिए भी परिणाम आ गए।

नवनिर्वाचित न्यायाधीशों में से अधिकांश सत्तारूढ़ दल के साथ मजबूत संबंध और वैचारिक समानता रखते हैं, जिसके कारण एक समय काफी संतुलित उच्च न्यायालय उसी पार्टी के हाथों में चला गया है जिसने पहली बार न्यायाधीशों के चुनाव के लिए न्यायिक प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन किया था। आलोचकों का कहना है कि न्यायिक सुधार उच्च लोकप्रियता के स्तर का लाभ उठाकर अदालतों को पार्टी के पक्ष में करने का एक प्रयास था। एक अन्य विशेषज्ञ ने जोर देकर कहा है कि न्यायाधीशों का चुनाव करने से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो जाएगा, क्योंकि अधिकांश मैक्सिकन इस प्रणाली के बारे में सहमत हैं कि यह टूटी हुई है।

मतदान के दौरान कहा, जो कोई भी कहता है कि मेक्सिको में तानाशाही है, वह झूठ बोल रहा है। मेक्सिको एक ऐसा देश है जो केवल अधिक स्वतंत्र, न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक बन रहा है क्योंकि यही लोगों की इच्छा है। चुनावों में लगभग 13 प्रतिशत मतदाताओं की भागीदारी कम रही तथा मतदाताओं में भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि उन्हें नई मतदान प्रणाली को समझने में कठिनाई हुई, जिसे विरोधियों ने तुरंत विफलता मान लिया।

साथियों बात अगर हम इस ज्यूडिशरी रिफॉर्म से भ्रष्टाचार हटाना है या राजनीतिक मोहरा मकसद बनाना है कि करें तो, पूर्व राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के अंत में इस बदलाव को मंजूरी दी थी, उनका दावा था कि इससे अदालतों में जवाबदेही बढ़ेगी और जनता को न्यायिक प्रक्रिया में हिस्सेदारी मिलेगी। लेकिन विरोधियों का कहना है कि ये सब ओब्राडोर की पार्टी की सत्ता को और मजबूत करने की कोशिश है। क्योंकि कोर्ट अक्सर उनके प्रस्तावों को खारिज करती रही है, अब अगर जज भी जनता के वोट से चुनेंगे, तो उन पर राजनीतिक प्रभाव डालना आसान हो सकता है। कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी उम्मीदवार को नामांकित या समर्थन नहीं कर सकती, उम्मीदवारों को खुद ही चुनाव प्रचार का खर्च उठाना होगा, टीवी-रेडियो पर विज्ञापन बैन है, लेकिन सोशल मीडिया और इंटरव्यू की छूट है।

एक नया जुडीशल डिसिप्लिनरी ट्रिब्यूनल भी बनाया गया है जो जजों पर निगरानी रखेगा और जरूरत पड़ने पर उन्हें सस्पेंड या बर्खास्त कर सकेगा। हालांकि नियमों में पार्टियों की भूमिका पर रोक है, माफिया का डर भी बना हुआ है। मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि अपराधी समूह खासकर स्थानीय स्तर पर इन चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। पहले भी माफिया ने विरोधी नेताओं को धमकाया या मार दिया है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मैक्सिको की आम जनता ने सुप्रीम कोर्ट, जिला मजिस्ट्रेट व जजों के चुनाव में वोट डाले- 2700 से अधिक न्यायिक पदों के लिए 7700 उम्मीदवार चुनाव लड़े- अदालतों के राजनीतिक व आपराधिक दबाव में आने की संभावना। विश्व का पहला देश जहां न्यायिक पदों के लिए सीधे आम जनता ने वोट डाला- सिर्फ 13 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। अदालत को लोकतांत्रिक बनाने सीधा आम जनता द्वारा चुनाव अनोखा विवादित व लोकतंत्र का मजाक है। न्यायिक व्यवस्था राजनीतिक अपराधिक व अयोग्य व्यक्तियों के हाथों में होगी।

(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)

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