तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। मेदिनीपुर की शरद संध्या में जब दीपमालाएँ झिलमिल करने लगीं, तब “पांचाली का काव्यतीर्थ” अपने वार्षिक ‘‘आनंद संध्या’’ के उजास में नहा उठा।
पांचाली चक्रवर्ती के स्नेहिल निर्देशन में संचालित यह वाचन और श्रुति-नाट्य प्रशिक्षण संस्था स्थानीय मेदिनीपुर कॉलेज के विवेकानंद सभागार को शब्दों, सुरों और भावनाओं के आलोक से आलोकित कर उठी।
प्रदीप प्रज्वलन की पवित्र विधा से कार्यक्रम का आरंभ हुआ, जिसका शुभारंभ वाचिक कला के वरिष्ठ शिल्पी अमिय पाल और कवयित्री-कलावतिका तंद्रिमा घोष ने किया।

मंच पर उपस्थित अतिथियों में मेदिनीपुर कॉलेज के कार्यवाहक प्राध्यापक सत्यरंजन घोष, संगीत साधक जयंत साहा, समाजसेवी श्यामल दास, उद्यमी चंदन बसु, कवि निर्मल्य मुखोपाध्याय, रंगकर्मी प्रणब चक्रवर्ती तथा संगीतकार भारती बनर्जी जैसे अनेक सांस्कृतिक हस्ताक्षर सम्मिलित हुए।
संस्थान के विद्यार्थियों ने मन के विभिन्न आयामों को शब्दों में ढालते हुए एकल व सामूहिक वाचन और श्रुतिनाट्य प्रस्तुत किए। अतिथि कलाकारों में मालविका पाल, तंद्रिमा घोष, चंद्रिमा घोष, सुतनुश मित्र माईति, और ‘छन्दसिक’ की सदस्याओं ने अपनी ओजस्वी आवाज से वातावरण को भावविभोर कर दिया।
संध्या का विशेष आकर्षण रही रवीन्द्रनाथ ठाकुर के ‘‘काबुलीवाला’’ की श्रुति नाट्य प्रस्तुति, जिसने श्रोताओं के मन को करुणा और स्नेह की तरंगों से स्पर्श किया।
कार्यक्रम का समापन संस्थान की मातृ सदस्यों द्वारा किए गए भावपूर्ण वाचन से हुआ। सम्पूर्ण आयोजन का संयोजन सुसंस्कृत सजीवता के साथ प्रसिद्ध संचालक अखिलबन्धु महापात्र ने संभाला, जबकि उसकी रूपरेखा और आत्मा थीं।
संस्थान की अध्यक्षा, वाचिक कला की साधना में रत, पांचाली चक्रवर्ती। इससे मेदिनीपुर का आकाश शब्द, स्वर और सृजन की ज्योति से आलोकित था।
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