मुख्यमंत्री द्वारा हरिचंद ठाकुर के नाम बिगाड़ने के खिलाफ मतुआ महासंघ ने निकाली विरोध रैली

सिलीगुड़ी। सिलीगुड़ी के हातियाडंगा ठाकुर नगर शाखा मतुआ महासंघ की ओर से आज सिलीगुड़ी के पूर्वी बाईपास के ठाकुर नगर क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा हरिचंद ठाकुर के नाम बिगाड़ने की घटना के खिलाफ एक विशाल जुलूस निकाला गया। मतुआ समाज के नेता संस्थापक हरिचंद ठाकुर व गुरचंद ठाकुर हैं। मुख्यमंत्री ने सरकारी कार्यक्रम के मंच से उस हरिचंद ठाकुर को रघुचंद और गुरुचंद ठाकुर को गरूचंद कहा। घटना से मतुआ सम्प्रदाय बेहद आहत व नाराज है। इधर पंचायत चुनाव करीब आ रहे हैं। उससे पहले ममता बनर्जी अलग-अलग जिलों का दौरा कर रही हैं । 31 जनवरी को मालदा के गजोल में उन्होंने प्रशासनिक बैठक की। उस इलाके में मतुआ समुदाय का निवास है। ज्यादातर वोटर मतुआ समुदाय के हैं।

वहां उन्होंने अपने भाषण में तृणमूल सरकार द्वारा मतुआ समुदाय के लिए किये गये कार्यों पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने भाषण देते हुए मतुआ के आदर्श हरिचंद ठाकुर और गुरुचंद ठाकुर के नामों का जिक्र किया। लेकिन उन्होंने हरिचंद को रघुचंद व गुरुचंद को गरूचंद कहा। मुख्यमंत्री की टिप्पणी से मतुआ वर्ग के लोग असंतुष्ट है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस भषण को लेकर विपक्षी भगवा खेमे ने मौका नहीं गंवाया। अखिल भारत मतुआ महासंघ के मतुआ समुदाय के सदस्यों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। ऐसे में सिलीगुड़ी हतियाडंगा ठाकुर नगर शाखा मतुआ महासंघ की ओर से आज सिलीगुड़ी पूर्वी बाईपास के ठाकुर नगर क्षेत्र में एक विशाल जुलूस निकाला गया। फिर उन्होंने पूर्वी बाईपास के ठाकुर नगर इलाके में मुख्य मार्ग को जाम कर दिया।

सारा भारत मतुआ महासंघ के जलपाईगुड़ी जिलाध्यक्ष दीपांकर बाला ने कहा, ‘जिस तरह से राज्य के मुख्यमंत्री ने गजोल की बैठक में मतुआ समुदाय के नेताओं हरिचंद ठाकुर और गुरु चंद ठाकुर के नाम बिगाड़े गए हैं, उससे हमारा समुदाय बहुत दुखी और नाराज है।’ उन्होंने हरिचंद ठाकुर को ‘रघुचंद’ और गुरुचंद टैगोर को ‘गुरुचंद’ कहा। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री का नाम क्षत-विक्षत करने के बाद मंच पर मौजूद अन्य लोगों ने उनकी पुष्टि की कि उन्होंने जो कहा वह सच नहीं है। मुख्यमंत्री की इस तरह की टिप्पणियों से हमारी भावनाएं बहुत आहत हुईं। मुख्यमंत्री की टिप्पणियों का आज समुदाय ने विरोध करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ठाकुरबाड़ी में जाकर माफी नहीं मांगी तो मतुआ समाज के लोग इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे।

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