कोलकाता | 31 अक्टूबर 2025 — चुनाव आयोग द्वारा देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय में डर, असमंजस और नाराजगी का माहौल बन गया है।
मतुआ समुदाय, जो बंगाल की राजनीति में एक प्रभावशाली वोटबैंक माना जाता है, अब इस प्रक्रिया को लेकर अपने वोटिंग अधिकारों पर संकट महसूस कर रहा है।
🧍♂️ कौन हैं मतुआ और क्यों है डर?
- मतुआ समुदाय एक हिंदू शरणार्थी समूह है, जिनमें से कई सदस्य बांग्लादेश से आए हैं
- ये लोग मुख्य रूप से उत्तर 24 परगना, नादिया और दक्षिण 24 परगना जिलों में बसे हैं
- इनका प्रभाव 40 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर है
- SIR के तहत 2002 की वोटर लिस्ट में नाम न होने पर दस्तावेज़ों से योग्यता साबित करनी होगी, जिससे शरणार्थी पृष्ठभूमि वाले लोगों को डर सता रहा है
मतुआ समुदाय को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत बड़े पैमाने पर वोट देने का अधिकार छिन जाने का डर सता रहा है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों का मतुआ समुदाय में जनाधार है, ऐसे में दोनों पार्टियों को अपने वोटबैंक की नाराजगी की चिंता सता रही है।

🏛️ राजनीतिक दलों की चिंता
- भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का मतुआ समुदाय में जनाधार है
- SIR के चलते वोटर लिस्ट से नाम हटने की आशंका ने दोनों दलों को वोटबैंक की नाराजगी की चिंता में डाल दिया है
- TMC ने SIR को NRC की आड़ बताया, जबकि भाजपा ने इसे पारदर्शिता की प्रक्रिया कहा
📞 चुनाव आयोग की सफाई
- आयोग ने स्पष्ट किया है कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य फर्जी, मृत और अयोग्य वोटरों को हटाना है
- कोई वैध वोटर सूची से नहीं हटाया जाएगा, और हेल्पलाइन नंबर 1950 पर सहायता उपलब्ध है
चुनाव आयोग ने साल 2002 के बाद पहली बार फर्जी, मृत और अयोग्य वोटरों को हटाने के लिए एसआईआर कराने का फैसला किया है। ऐसे में जो लोग 2002 की वोटर लिस्ट में नहीं हैं, उन्हें अब अपनी योग्यता साबित करने के लिए दस्तावेज देने होंगे।

📊 क्या हो सकता है असर?
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि SIR की प्रक्रिया बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा मुद्दा बन सकती है
- CAA और NRC जैसे मुद्दों से जुड़कर, यह प्रक्रिया राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकती है
- मतुआ समुदाय की नाराजगी से सीटों का समीकरण बदल सकता है’
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सबसे प्रमुख मतुआ नेता बनगांव सांसद शांतनु ठाकुर ने लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा, ‘अगर शरणार्थी मतुआ लोगों के नाम हटा दिए जाते हैं तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्हें CAA के तहत भारतीय नागरिकता मिलेगी।’
हालांकि उनके बयान के बावजूद मतुआ लोगों की नाराजगी शांत नहीं हुई है। वहीं मतुआ के प्रथम परिवार की नेता और शांतनु ठाकुर की चाची टीएमसी की राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर ने समुदाय के नेताओं की ठाकुरनगर में बैठक बुलाई है। इस बैठक में अगले कदम पर चर्चा की जाएगी।
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