हावड़ा। समय पर उपचार और उन्नत चिकित्सा सुविधाएं जीवन रक्षक सिद्ध हो सकती हैं। मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर ने हाल ही में हावड़ा के 56 वर्षीय एक मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित पुरुष मरीज की जान बचाकर इसका प्रमाण प्रस्तुत किया। मरीज को अत्यधिक सीने में दर्द की शिकायत के बाद एक स्थानीय नर्सिंग होम में भर्ती किया गया था, जहाँ से उन्हें बेहतर हृदय चिकित्सा के लिए मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर रेफर किया गया। मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर ट्रोपोनिन टी (Trop T) परीक्षण और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) जैसी उन्नत हृदय जांचें की गई। यह सभी जांच वरिष्ठ इंटरवेंशनल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परिजात देब चौधुरी की निगरानी में की गईं। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि मरीज को गंभीर हृदयाघात (हार्ट अटैक) हुआ था।
हृदय की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए डॉक्टरों की टीम ने ट्रांसरैडियल एंजियोग्राफी (कलाई के माध्यम से की जाने वाली दर्दरहित और रक्तरहित हृदय जांच) की। इस जांच में यह सामने आया कि मरीज की हृदय की बाईं मुख्य धमनी (लेफ्ट मेन आर्टरी) में गंभीर रुकावट थी। मामला अत्यंत जोखिमपूर्ण था, इसलिए डॉ. परिजात और उनकी कुशल टीम ने इन्ट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) द्वारा मार्गदर्शित लेफ्ट मेन बाइफर्केशन एंजियोप्लास्टी नामक एक जटिल प्रक्रिया द्वारा धमनी की रुकावट को दूर किया।
आईवीयूएस (IVUS) तकनीक के माध्यम से धमनी के अंदर की वास्तविक स्थिति को वास्तविक समय में देखा जा सका। पता चला कि धमनी की दीवारों में कैल्शियम जमा हो जाने के कारण वह बहुत कठोर और संकरी हो गई थी। विशेषज्ञों की टीम ने वहाँ विशेष कटिंग बैलून और औषधि-लेपित स्टेंट लगाए, ताकि धमनी खुली रह सके। प्रक्रिया के बाद मरीज थोड़े समय के लिए अस्थिर थे, लेकिन शीघ्र ही उनकी स्थिति में सुधार हुआ और अगले ही दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
इस बारे में डॉ. परिजात देब चौधुरी, सलाहकार इंटरवेंशनल हृदय रोग विशेषज्ञ, मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर ने कहा, “यह मामला दर्शाता है कि समय पर उपचार और उन्नत हृदय तकनीक की उपलब्धता जीवन और मृत्यु के बीच का फर्क कर सकती है। आईवीयूएस मार्गदर्शित एंजियोप्लास्टी की मदद से हमने बाईं मुख्य धमनी की गंभीर रुकावट को सटीकता से पहचानकर उसका सफलतापूर्वक उपचार किया। सबसे संतोषजनक बात यह रही कि उच्च जोखिम वाला यह मरीज बिना किसी दर्द और जटिलता के बहुत जल्द स्वस्थ हो गया। मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर में हम जिले और आस-पास के क्षेत्रों के मरीजों को श्रेष्ठ और समग्र हृदय चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने पर गर्व महसूस करते हैं।”
मरीज ने कहा, “जब मुझे सीने में दर्द हुआ, तब मुझे लगा नहीं था कि यह इतना गंभीर होगा। सब कुछ बहुत तेजी से हुआ। अस्पताल पहुँचते ही डॉक्टरों ने हार्ट अटैक की पुष्टि की। मैं डरा हुआ था, लेकिन जैसे ही मैं मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर पहुँचा, मुझे लगा कि मैं सुरक्षित हाथों में हूँ। डॉक्टरों ने मुझे सिर्फ इलाज नहीं दिया, बल्कि पूरी प्रक्रिया समझाई, भरोसा दिलाया और तुरंत इलाज शुरू किया। पूरी प्रक्रिया लगभग दर्दरहित थी और मैं अगले दिन ही बेहतर महसूस करने लगा। मैंने उन्नत हृदय उपचार के बारे में सुना था, लेकिन इसे इतने पास और स्वयं अनुभव करना मेरे लिए अविस्मरणीय है। मैं डॉक्टरों और पूरे स्टाफ का जीवनदान देने के लिए हमेशा आभारी रहूँगा।”
भारतीय हृदय रोग सोसायटी के हालिया शोध के अनुसार, द्वितीय श्रेणी के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में 40% से अधिक हृदय रोगियों को तब तक जटिल इलाज के लिए नहीं भेजा जाता जब तक उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर न हो जाए। मणिपाल की विशेषता केवल इसके आकार में नहीं, बल्कि आपात स्थिति में तत्परता से प्रतिक्रिया देने की क्षमता में भी है।
चाहे वह स्टेंटिंग प्रक्रिया के दौरान अचानक स्थिति बिगड़ना हो या ऑपरेशन के बाद जटिलता उत्पन्न होना – मणिपाल हॉस्पिटल में 500 से अधिक गंभीर देखभाल बेड, 75 अनुभवी हृदय विशेषज्ञ, 15 उच्च प्रशिक्षित हृदय-थोरैसिक एवं संवहनी सर्जन और 7 अत्याधुनिक कैथ लैब हैं जो हावड़ा एवं आसपास के क्षेत्रों की सेवा के लिए रणनीतिक रूप से स्थित हैं।
साथ ही, 24×7 आपातकालीन टीमें और नेफ्रोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी, न्यूरोलॉजी जैसी विशेष सेवाएँ भी अस्पताल में उपलब्ध हैं, जिससे जीवन रक्षक निर्णयों में कोई देरी नहीं होती। हर वर्ष मणिपाल हॉस्पिटल में 30,000 से अधिक हृदय संबंधी प्रक्रियाएं और 3,000 से अधिक हृदय सर्जरी की जाती हैं।
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