
कोलकाता। डॉ. सोनिया दत्ता, एमडीएस, पीएचडी, प्रोफेसर, पब्लिक हेल्थ डेन्टिस्ट्री के अनुसार, मुंह का स्वास्थ्य सिर्फ दांतों या मसूड़ों तक ही सीमित नहीं है; यह दांतों की सफाई से कहीं बढ़कर है। आपके मुंह का स्वास्थ्य ही शरीर के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। दंत चिकित्सक और फिज़िशियन्स का मानना है कि प्रीवेन्टिव मेडिकल केयर की बात करें तो मुंह और शरीर का स्वास्थ्य एक दूसरे से संबंधित है।
मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल करने से दिल की बीमारियों, डायबिटीज़ एवं कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है; ऐसे में मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल कैंसर की रोकथाम के नज़रिए से महत्वपूर्ण है।
कमज़ोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए, मौखिक स्वच्छता बनाए रखना सिर्फ़ आराम की बात नहीं है। यह सीधे तौर पर उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

सरल सी आदतें जैसे दिन में दो बार आयुर्वेदिक पेस्ट जैसे डाबर रैड पेस्ट से दांत साफ करना, फ्लॉस का इस्तेमाल, एंटीबैक्टीरियल माउथवॉश का इस्तेमाल करने से मुंह में बैक्टीरिया पनपने की संभावना कम हो जाती है और ओरल सिस्टम का संतुलन बना रहता है।
एम्स के शोधकर्ताओं के अनुसार कैंसर की देखभाल में ओरल हाइजीन को भी शामिल किया जाना चाहिए, इससे कैंसर के मरीज़ों के जीवित रहने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
इसी तरह इंटरनेशनल हैड एंड नैक कैंसर एपिडेमियोलोजी कंसोर्टियम के अनुसार मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल ठीक से करने पर (हर साल डेंटिस्ट से दांतों की जांच करना, रोज़ाना दांतों की सफाई करना) हैड एवं नैक कैंसर की संभावना कम हो जाती है।
नियमित रूप से दांतों की जांच कराना भी बेहद महत्वपूर्ण है, इससे न सिर्फ दांत स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मुँह का कैंसर के संकेत भी जल्दी दिख जाते हैं। अगर व्यक्ति के मुंह में कोई संदिग्ध घाव, पुराना मुंह का छाला या टिश्यू में कोई बदलाव हो रहा है, तो डेंटिस्ट इसे पहचान लेता है।
इसके अलावा तंबाकू का सेवन बंद कर और एल्कॉहल के सेवन को सीमित करके भी कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है। ये सभी उपाय न सिर्फ मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं बल्कि कैंसर की रोकथाम में भी कारगर हैं, खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां हैड एंड नैक कैंसर के मामले अधिक होते हैं।
मुंह के स्वास्थ्य एवं विशेष प्रकार के कैंसर के बीच संबंध :
- मुँह, गले और गर्दन का कैंसर मसूड़ों के पुराने रोग और मुंह की साफ़-सफ़ाई का ख्याल न रखने से कोशिकाओं में बदलाव, सूजन आ सकती है, जो मुंह, गले या लैरिंक्स में कैंसर का कारण बन सकता है।
- पाचन तंत्र का कैंसरः दांतों की बीमारियों से पेट, अग्नाश्य और कोलोरेक्टल कैंसर की संभावना बढ़ सकती है।
- फेफड़ों और प्रोस्टेट का कैंसर : मुंह में पैदा होने वाले बैक्टीरिया इस प्रकार के कैंसर का कारण भी बन सकते हैं।
मुंह की देखभाल अच्छी तरह करने पर, भले ही हर प्रकार के कैंसर की रोकथाम न हो, लेकिन निम्नलिखित फायदे तो होते ही हैं:
- म्युकोसाइटिस और इन्फेक्शन की संभावना कम हो जाती है, जिससे इलाज के परिणाम बेहतर हो जाते हैं।
- इम्यून फंक्शन में सुधार होता है और सूजन की संभावना कम हो जाती है।
- नियमित रूप से डेंटिस्ट से जांच कराने पर, अगर ओरल कैंसर के कोई संकेत हों तो उनका पता समय रहते चल जाता है।
मुंह की देखभाल कैसे करें :
- दिन में दो बार आयुर्वेदिक पेस्ट जैसे डाबर रैड पेस्ट से दांत साफ करें। नियमित रूप से फ्लॉस करें।
- एंटीबैक्टीरियल माउथवॉश का इस्तेमाल करें।
- तंबाकू का सेवन बंद कर दें और एल्कॉहल का सेवन भी सीमित मात्रा में ही करें।
- चीनी एवं एसिडिक खाद्य एवं पेय पदार्थों के सेवन से बचें। इनसे दांतों का इनेमल खराब हो जाता है और मुंह में बैक्टीरिया पनपने की संभावना बढ़ती है।
- साल में कम से कम एक बार डेंटिस्ट से अपने दांतों की जांच ज़रूर कराएं। कोई भी लक्षण दिखें तो जागरुक रहें; अगर आपको कोई असामान्य गांठ, घाव या मुंह में कोई बदलाव दिखे तो तुरंत अपने डेंटिस्ट से संपर्क करें।
मुंह की उचित देखभाल दांतों को स्वस्थ्य रखती ही है, साथ ही पूरे शरीर के स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस बात के प्रमाण हैं कि मुंह के स्वास्थ्य की देखभाल ओंकोलोजी केयर में भी कारगर होती है, खासतौर पर भारत जैसे देशों में जहां कैंसर का बोझ अधिक है।
नियमित रूप से दांतों की जांच कराना, दांतों की सफाई का ख्याल रखना और सार्वजनिक जागरुकता अभियानों का आयोजन कैंसर के जोखिम को कम करने और शारीरिक स्वास्थ्य सुधार लाने में कारगर हो सकता है।
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