– “लखनऊ स्पेक्ट्रम – 2025” आर्ट फेयर का भव्य शुभारंभ
– देश के 111 प्रतिष्ठित कलाकारों की कलाकृतियाँ एक ही मंच पर प्रदर्शित
– फिल्म अभिनेता पंकज झा और तीन राज्यों के पद्मश्री चित्रकारों की रचनाएँ बनीं आकर्षण का केंद्र
लखनऊ। भारत की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ, जहाँ तहज़ीब और रचनात्मकता की परंपरा आज भी जीवंत है, वहीं शनिवार को फीनिक्स पलासियो के साउथ एट्रियम परिसर में फ्लोरेंसेंस आर्ट गैलरी एवं फीनिक्स पलासियो के संयुक्त तत्वावधान में “लखनऊ स्पेक्ट्रम – 2025” आर्ट फेयर का भव्य उद्घाटन संजय प्रसाद प्रमुख सचिव, गृह एवं सुचना विभाग, उत्तर प्रदेश ने किया। उन्होंने सभी कलाकारों की कलाकृतियों की बहुत बहुत प्रशंसा की।
कार्यक्रम से पूर्व आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोजकों ने इस आर्ट फेयर की रूपरेखा और उद्देश्यों की जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजीव सरीन रिटेल डायरेक्टर फीनिक्स मिल्स लिमिटेड नार्थ,, विनय शहाने हेड मार्केटिंग फीनिक्स पलासियो, क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना, राजेश कुमार और गोपाल सामंत राय उपस्थित रहे।

गैलरी की निदेशक नेहा सिंह और संजीव सरीन रिटेल डायरेक्टर फीनिक्स पलासियो का मानना है कि “लखनऊ स्पेक्ट्रम–2025 केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि कल्पना, संवाद और नवाचार का उत्सव है। हमारा उद्देश्य कला को वह साझा भाषा बनाना है, जो कलाकार और दर्शक के बीच की दूरी मिटाकर संवेदनशील संवाद स्थापित करे।”
‘फीनिक्स मिल्स लिमिटेड के रीटेल डायरेक्टर फीनिक्स मिल्स लिमिटेड नॉर्थ, संजीव सरीन ने कहा, “फीनिक्स पलासियो हमेशा ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देता है जो लखनऊ की पहचान और क्रिएटिविटी को सामने लाते हैं। ‘द लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025’ हमारे लिए सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि शहर की कला भावना का उत्सव है।” यह आर्ट फेयर भारतीय कला की विविधता, संवेदना और समकालीन दृष्टि का सुंदर संगम है।
इस आर्ट फेयर को तीन क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना, राजेश कुमार और गोपाल सामंत्री ने अपने विशिष्ट दृष्टिकोण और अनुभव से एक रचनात्मक संगम का रूप दिया है। हम फ्लोरेंसेंस आर्ट गैलरी की इस उत्कृष्ट पहल की सराहना करते हैं और सभी कलाकारों व आगंतुकों का हार्दिक स्वागत करते हैं। आइए, हम सब मिलकर इस सृजनात्मक उत्सव का आनंद लें।”
क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि फ्लोरेंसेंस आर्ट गैलरी, जिसकी स्थापना 2019 में हुई थी, केवल एक प्रदर्शन स्थल नहीं बल्कि एक सृजनात्मक आंदोलन है जो कला को सुलभ, संवादमय और संग्रहणीय बनाने का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहा है।
वहीं राजेश कुमार ने जानकारी दी कि फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी द्वारा आयोजित यह आर्ट फेयर 1 से 30 नवंबर तक फीनिक्स पलासियो, लखनऊ में आयोजित किया जा रहा है।
इसमें देश के विभिन्न राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, नई दिल्ली, महाराष्ट्र, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हैदराबाद, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, केरल और आंध्र प्रदेश से वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जा रही हैं।
प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश का कोहबर, बिहार का मधुबनी, मध्य प्रदेश की भील और गोंड कला, राजस्थान की पिछवई और फड़ पेंटिंग, हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी मिनिएचर, केरल की म्यूरल और वेस्ट बंगाल की पटचित्र जैसी पारंपरिक कलाओं के साथ समकालीन भारतीय कला के विविध रूपों को भी विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
इस आयोजन में चित्र, मूर्तिशिल्प, सिरामिक, म्यूरल, छापाचित्र, लघु शिल्प, फोटोग्राफी, टेक्सटाइल और असम के मजुली मास्क के साथ वॉश शैली के चित्र भी विशेष रूप से शामिल किए गए हैं।
इस फेयर का उद्देश्य केवल कला प्रदर्शन तक सीमित नहीं, बल्कि प्रदेश में कला में निवेश को प्रोत्साहित करना भी है – क्योंकि “कला में निवेश” वास्तव में संस्कृति और संपन्नता का संगम है। लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025 इसी विचार को मूर्त रूप देता है, जहाँ कला, संस्कृति और निवेश मिलकर समृद्ध भविष्य की रचना करते हैं।
कला मानव सभ्यता की संवेदनशीलता और सृजनशीलता का प्रतीक रही है। यह केवल सौंदर्य का अनुभव नहीं, बल्कि समाज और समय की गहराई को अभिव्यक्त करने का माध्यम भी है। आज जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में निवेश के नए क्षेत्र खुल रहे हैं, कला भी एक सशक्त सांस्कृतिक पूंजी के रूप में उभर रही है।
लखनऊ स्वयं अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब, नफ़ासत और कलात्मक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध रहा है। नवाबी दौर से लेकर आधुनिक युग तक यह शहर चित्रकला, संगीत, नृत्य और स्थापत्य कला का केंद्र रहा है।
यहाँ की मिट्टी में रची-बसी कला आज भी लोक और आधुनिकता का संगम रचती है। इसलिए “लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025” न केवल एक कला प्रदर्शनी है, बल्कि इस शहर की रचनात्मक आत्मा का सांस्कृतिक और आर्थिक पुनर्पाठ भी है।
कला में निवेश का अर्थ केवल किसी पेंटिंग या मूर्ति की खरीद नहीं है, बल्कि यह संवेदना, दृष्टि और समय में निवेश है। जब कोई व्यक्ति किसी कलाकार की कृति में निवेश करता है, तो वह न केवल सौंदर्य में, बल्कि विचार और संस्कृति में भी हिस्सेदारी निभाता है।
आधुनिक समय में आर्ट इन्वेस्टमेंट एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जहाँ कलाकृतियों का मूल्य समय के साथ बढ़ता है और कलाकारों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है। इसके साथ ही यह सांस्कृतिक पूँजी के रूप में समाज की संवेदनशीलता और सौंदर्यबोध को भी सशक्त बनाता है।
फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी का यह आयोजन इसी विश्वास पर आधारित है कि कला केवल दीवारों की शोभा नहीं, बल्कि समाज की आत्मा को प्रकट करने का माध्यम है।
यह फेयर कलाकारों, निवेशकों, क्यूरेटरों और दर्शकों के बीच एक जीवंत संवाद का अवसर प्रदान करेगा। प्रदर्शित कलाकृतियाँ भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं – जैसे गोंड, मधुबनी, पटचित्र को समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत करेंगी।
अंततः, “लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025” कला, संस्कृति और निवेश का ऐसा उत्सव है जो दर्शाता है कि कला केवल प्रदर्शित नहीं होती, बल्कि संरक्षित, संवर्धित और निवेशित होती है।
यह आयोजन लखनऊ की रचनात्मक आत्मा और उसकी तहज़ीब को एक नए आयाम में प्रस्तुत करता है – जहाँ कला केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि भविष्य की समृद्धि और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन जाती है।
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