काली पूजा की रात पटाखे फोड़े जाने के कारण कोलकाता और हावड़ा में बिगड़ी वायु गुणवत्ता

कोलकाता | 21 अक्टूबर 2025काली पूजा के अवसर पर पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (WBPCB) और पुलिस के दिशा-निर्देशों को दरकिनार करते हुए रात 8 से 10 बजे के बाद भी पटाखों का इस्तेमाल जारी रहा। इसका परिणाम — कोलकाता और हावड़ा की वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट

📊 प्रमुख AQI आँकड़े (सोमवार रात)

स्थान रात 8 बजे AQI रात 10 बजे AQI श्रेणी
विक्टोरिया मेमोरियल 164 186 खराब
बेलूर 161 364 गंभीर
पद्मपुकुर 361 गंभीर
घुसुरी (हावड़ा) 252+ बहुत खराब
बॉलीगंज 134 173 खराब
यादवपुर 159 169 खराब
रवींद्र भारती विश्वविद्यालय 102 167 खराब
फोर्ट विलियम 117 संतोषजनक
डब्ल्यूबीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार रात 10 बजे शहर के विक्टोरिया मेमोरियल में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 186 तक पहुंच गया, जबकि हावड़ा के बेलूर में यह 364 रहा। एक्यूआई 151 से 200 के बीच को ‘खराब’, 201 से 300 के बीच ‘बहुत खराब’ और 300 से ऊपर को ‘गंभीर’ माना जाता है।

🔊 नियमों की अनदेखी और प्रशासन की चुप्पी

  • WBPCB और पुलिस के निर्देशों के बावजूद तेज़ आवाज़ वाले पटाखों का धड़ल्ले से इस्तेमाल
  • काशीपुर, सिंथी, जोड़ासांको, माणिकतला, कस्बा, टॉलीगंज, रीजेंट पार्क, बेहाला, जादवपुर — हर क्षेत्र में उल्लंघन
  • पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष और सबुज मंच के नबा दत्ता ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए
  • बुजुर्गों, बच्चों, बीमारों और पालतू जानवरों को हुआ नुकसान

अधिकारी ने कहा कि वे परिणामों का विश्लेषण कर रहे हैं। पर्यावरणविद् सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि शाम से ही उत्तर और दक्षिण कोलकाता तथा हावड़ा में तेज आवाज वाले पटाखों का धड़ल्ले से और लगातार इस्तेमाल हुआ।

Air quality deteriorates in Kolkata and Howrah due to bursting of firecrackers on Kali Puja night

🧠 विशेषज्ञों की राय

“पुलिस और WBPCB मूकदर्शक बने रहे, जिससे नियमों का खुलेआम उल्लंघन हुआ।” — सोमेंद्र मोहन घोष, पर्यावरणविद्

“शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे संवेदनशील वर्गों को परेशानी हुई।” — नबा दत्ता, सबुज मंच

उन्होंने कहा, ‘‘काशीपुर, सिंथी, जोड़ासांको, माणिकतला से लेकर कस्बा, टॉलीगंज, रीजेंट पार्क, बेहाला और जादवपुर तक, हर जगह तेज आवाज़ वाले पटाखे फोड़े गए। पुलिस और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूपीसीबी) दोनों ही मूकदर्शक बने रहे और पटाखों की बिक्री व इस्तेमाल पर अंकुश लगाने में विफल रहे।’’

पर्यावरणविदों के एक संगठन सबुज मंच के नबा दत्ता ने भी पुलिस और प्रदूषण निगरानी संस्था पर नियमों को लागू करने में ‘विफल’ रहने का आरोप लगाया, जिससे बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों, बच्चों और पालतू जानवरों को ध्वनि व वायु प्रदूषण से परेशानी हुई।

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