Kolkata gang rape case: कोलकाता के कसबा स्थित लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। मामले को लेकर जनाक्रोश और राजनीतिक बयानबाजी के बीच मंगलवार को कोलकाता पुलिस ने एक सख्त निर्देशिका जारी कर दी।
इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति पीड़िता की पहचान उजागर करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कोलकाता पुलिस ने बयान में कहा है कि कुछ लोग पीड़िता के निजी दस्तावेज या अन्य माध्यमों से उसकी पहचान उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कानून का गंभीर उल्लंघन है।
पुलिस ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी माध्यम से ऐसा कोई विवरण साझा न करें जिससे पीड़िता की पहचान सार्वजनिक हो सके।

यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनन दंडनीय भी है। इसी बीच, सोमवार को अधिवक्ता सत्यम् सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
उनकी याचिका में तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय और विधायक मदन मित्रा की ‘अवांछित टिप्पणियों’ का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही, हाईकोर्ट में भी इस घटना को लेकर दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं।
रविवार को पीड़िता के मामा ने कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन की जांच पर भरोसा जताया था।
सोमवार को उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले में मुख्य आरोपित कॉलेज के अस्थायी कर्मचारी मनोजीत मिश्रा को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। इसके अलावा, कॉलेज प्रशासन ने आरोपों से घिरे दो छात्र – प्रमित मुखर्जी और ज़ैब अहमद – को भी संस्थान से निष्कासित करने का निर्णय लिया है।
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