जानिए बसंत पंचमी में पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री से

पंडित मनोज कृष्ण, शास्त्री वाराणसी । माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस तिथि पर देवी सरस्वती की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि बंसत पंचमी तिथि पर मां सरस्वती की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होती है। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी 2022 शनिवार के दिन मनाया जाएगा। मान्यता है बसंत पंचमी के दिन ही बुद्धि, ज्ञान और विवेक की जननी माता सरस्वती प्रगट हुई थी। इस कारण हर वर्ष उत्साह के साथ देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वैसे तो कई मौकों पर मां सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। लेकिन बसंत पंचमी के दिन मां की पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है…।

बसंत पंचमी के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, कोई नया काम शुरू करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना अच्छा माना जाता है।

मां सरस्वती की पूजा का मुहूर्त : बसंत पंचमी की तिथि की शुरुआत 5 फरवरी अर्थात शनिवार को सुबह 3:48 बजे से होगी और यह 6 फरवरी यानी रविवार को सुबह 3:46 बजे खत्म होगी। वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:19 मिनट से 09:50 तक उसके उपरांत 11:15 से दोपहर 12:40 मिनट तक रहेगा।
इस दिन सिद्ध योग शाम 5 बजकर 40 मिनट तक बना हुआ है। पंचांग के अनुसार इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा।

इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें, इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का खास महत्व हैं और पीले फूलों से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही उन्हें पीले वस्त्र भी भेंट किए जाते हैं। मां सरस्वती को केसर युक्त खीर या पीले चावल का भोग लगाएं।

वसंत पचंमी पर कुछ विशेष उपाय करने से देवी सरस्वती की कृपा हम पर बनी रहती हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-

1. वसंत पंचमी पर मां सरस्वती देवी को केसर मिश्रित खीर या मीठे पीले चावल का भोग लगाएं। पहले इसका भोग देवी सरस्वती को लगाएं उसके बाद कन्याओं को खिलाएं।

2. वसंत पंचमी की सुबह स्नान आादि करने के बाद तुलसी की माला से इस मंत्र का 108 बार जाप करें-: ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

3. वसंत पंचमी पर गरीब कन्याओं को पीले रंग के कपड़ों का दान करें। ये भी देवी सरस्वती की कृपा पाने का अचूक उपाय है।

4. वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती को पीले फूलों की माला अर्पित करें।

5. देवी सरस्वती को पीले या सफेद वस्त्र अर्पित करें और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

6. निर्धन बच्चों को पढ़ाई की सामग्री जैसे- पुस्तकें, कॉपी, पेन आदि का दान करें। इससे भी देवी सरस्वती प्रसन्न होती।

7. बसंत पंचमी के दिन गाय को गुड़ और चने की दाल खिलाएं।

* बसंत पंचमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए- बसंत पंचमी के दिन भूलकर भी काले, नीले या अन्य रंग बिरंगे वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए। दरअसल मान्यता है माता सरस्वती का जब अवतरण हुआ था तब ब्रह्मांड की आभा पीली थी, सबसे पहले पीली आभा के दर्शन हुए थे और माता सरस्वती को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

* बसंत पंचमी के दिन मांस-मंदिरा, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन से दूरी बनाकर रखें। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।

* बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। इसलिए इस दिन मन में कोई भी गलत विचार न लाएं और न ही किसी व्यक्ति को अपशब्द कहें।

* बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन न करें। इस दिन स्नान करके मां सरस्वती की पूजा करें इसके बाद ही कुछ ग्रहण करें।

* बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों की कटाई-छटाई भी न करें, क्योंकि इस दिन से बसंत ऋतु का भी आगमन होता है। इसलिए उसका सम्मान करने के लिए वृक्षों को काटने से बचना चाहिए।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
यावीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

अर्थ – जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पं. मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

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