
वाराणसी। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी का व्रत वर्ष 2025 में 10 मार्च, सोमवार को रखा जाएगा। एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
आमलकी एकादशी तिथि एवं पारण मुहूर्त :
एकादशी तिथि प्रारंभ : 09 मार्च 2025, रविवार को सुबह 07:46 बजे
एकादशी तिथि समाप्त : 10 मार्च 2025, सोमवार को सुबह 07:45 बजे
सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि : 10 मार्च, सोमवार
(इसलिए, व्रत 10 मार्च को रखना को ही श्रेष्ठ रहेगा।)
व्रत पारण मुहूर्त : 11 मार्च 2025, मंगलवार को सुबह 06:36 बजे से 08:14 बजे तक
धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु को आंवले का पेड़ अत्यंत प्रिय है। आंवले के वृक्ष में ईश्वर का वास माना गया है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत करने से व्रती को अश्वमेध यज्ञ, जप, तप, तीर्थों में स्नान एवं दान से कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। व्रती को अपने चित्त, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। यह व्रत जीवन में संतुलन बनाए रखना सिखाता है। इसे करने वाला व्यक्ति अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलता है और मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष एवं महिलाओं, दोनों के लिए समान रूप से लाभकारी है।
इस दिन जो व्यक्ति दान करता है, वह अपने सभी पापों का नाश कर परम पद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्मणों एवं जरूरतमंद लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार स्वर्ण, भूमि, फल, वस्त्र, मिष्ठान, अन्न, विद्या, दक्षिणा एवं गौदान आदि का दान करना चाहिए।
इस दिन श्रीगणेश जी, श्री लक्ष्मीनारायण जी, भगवान श्रीराम जी, भगवान श्रीकृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव जी की पूजा का विशेष महत्व है। श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें या कथा श्रवण करें। एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी विशेष लाभ है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है, जो मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है, उसे वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है। इस दिन शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए, क्योंकि इसका दुष्प्रभाव न केवल शरीर पर, बल्कि भविष्य पर भी पड़ सकता है। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
आयुर्वेद और विज्ञान के अनुसार आंवले का महत्व : आचार्य चरक के अनुसार आंवला एक अमृत फल है, जो कई रोगों को नष्ट करने में सक्षम है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आंवले में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है, जो उबालने के बाद भी बना रहता है। यह शरीर में नए कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों एवं जरूरतमंद लोगों को खिलाना चाहिए। भोजन के समय पूर्व दिशा की ओर मुख रखें। शास्त्रों में बताया गया है कि यदि भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो यह अत्यंत शुभ संकेत होता है। यह संकेत देता है कि आने वाले वर्ष में व्यक्ति की सेहत उत्तम बनी रहेगी।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।