नई दिल्ली। अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित “दिया दिल्ली” की ओर से सम्मानित “ज्योत से ज्योत जलाते चलो, ज्ञान की गंगा बहाते चलो” – यह पंक्ति डॉ. विक्रम चौरसिया के जीवन का सजीव उदाहरण बन चुकी है। झुग्गी-बस्तियों के बच्चों और उनके शिक्षकों ने हाल ही में उन्हें सम्मानित किया, जो उनके लिए अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण रहा।
डॉ. चौरसिया ने अपने विद्यालय जीवन से ही वंचित और जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना प्रारंभ किया था। भभुआ, पटना, कानपुर से लेकर दिल्ली तक उन्होंने शिक्षा की ज्योति जलाकर अनगिनत जीवनों में उजाला फैलाया है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित “दिया दिल्ली” संस्था इसी भावना का प्रतीक है। इसका उद्देश्य केवल निःशुल्क शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चों में संस्कार, आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित करना भी है।

रूमा, लंचंद, प्रियंका, साक्षी, अभय, मनमोहन, विवेक, कुदन, टिंकू, आदर्श, दीपक, अमित, रवीजीत, शंभू और महेन्द्र जैसे कई युवा आज डॉ. चौरसिया से प्रेरणा लेकर समाज सेवा में निस्वार्थ भाव से जुटे हैं।
समारोह के दौरान बच्चों की मुस्कान और शिक्षकों के स्नेह को देखकर डॉ. चौरसिया भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि “सच्चा सम्मान किसी पुरस्कार में नहीं, बल्कि उन चेहरों की मुस्कान में है, जो शिक्षा से जीवन संवार रहे हैं।”
ज्ञातव्य है कि डॉ. चौरसिया ने बिना किसी संस्था के सहयोग के पार्कों और खुले स्थानों पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। कोरोना काल में भी उन्होंने यह सेवा निरंतर जारी रखी।
उनकी इस सेवा भावना से प्रभावित होकर डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सहयोगी रहे राजेंद्र प्रसाद ने नववर्ष पर उनके शिक्षण केंद्र का दौरा किया। बच्चों ने उनसे प्रेरित होकर बड़े सपने देखे और शिक्षा के महत्व को गहराई से समझा।
डॉ. विक्रम चौरसिया का यह कार्य इस सत्य को पुनः प्रमाणित करता है कि – “अगर एक व्यक्ति संकल्प ले ले, तो वह अकेला भी समाज की दिशा बदल सकता है।”

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।



