कालीगंज उपचुनाव ।। प्रचार में जुटे प्रत्याशी, क्षेत्र में केंद्रीय बलों का रूट मार्च जारी

कोलकाता: नादिया (Nadia) जिले के कालीगंज (Kaliganj) विधानसभा क्षेत्र में आगामी 19 जून को होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने-अपने तरीक़े से मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

इस उपचुनाव में भाजपा ने जहां आशीष घोष को मैदान में उतारा है, वहीं तृणमूल ने अलीफा अहमद को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही प्रत्याशी अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय होकर डोर-टू-डोर अभियान, जनसभाओं और स्थानीय मुलाक़ातों के ज़रिए वोटरों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा प्रत्याशी आशीष घोष, सुबह से ही अपने समर्थकों के साथ प्रचार में जुटे नजर आए। वे आमजन की शिकायतें सुनकर उन्हें हल कराने का भरोसा दिला रहे हैं।

घोष ने कहा, “हमारा मुकाबला तृणमूल से है, लेकिन जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है। जीत का पूरा भरोसा है।”

दूसरी ओर, तृणमूल की अलीफा अहमद, खासतौर पर महिला कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हर गली-मोहल्ले में दस्तक दे रही हैं। वे राज्य सरकार की उपलब्धियां, जैसे—स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन और महिला सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रमों को जनता के समक्ष रख रही हैं।

  • सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद : केंद्रीय बलों का फ्लैग मार्च

कालीगंज उपचुनाव के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहता। केंद्रीय बलों की तीन कंपनियां पहले ही विधानसभा क्षेत्र में पहुंच चुकी हैं।

बीते कुछ दिनों से राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के संयुक्त समन्वय में रूट मार्च (फ्लैग मार्च) चलाया जा रहा है।

यह रूट मार्च नदी मार्गों से लेकर सड़क मार्गों तक निरंतर चलाया जा रहा है, जिससे इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने और मतदाताओं में भरोसा पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।

  • चुनावी टकराव : मुद्दे क्या हैं?
  • कालीगंज उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे, जैसे—
  • सड़क और जल निकासी की समस्या
  • बेरोजगारी और खेती-किसानी से जुड़ी चुनौतियां
  • केंद्र बनाम राज्य की राजनीति
  • महिलाओं की सुरक्षा व कल्याणकारी योजनाएं

चुनावी बहस के केंद्र में हैं। भाजपा जहां राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण का आरोप लगाती है, वहीं तृणमूल का जोर विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं को गिनाने पर है।

  • 23 जून को आएगा फैसला

हालांकि चुनाव 19 जून को संपन्न होगा, लेकिन मतगणना 23 जून को होगी। नतीजे से यह तय होगा कि क्या भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करेगी या तृणमूल इस सीट को बचा पाएगी। जनता का मूड अभी पूरी तरह से साफ़ नहीं है, लेकिन दोनों दलों के आक्रामक प्रचार, गली-गली की सक्रियता और चुनावी रणनीति से स्पष्ट है कि यह मुकाबला आसान नहीं होगा।

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