ज्येष्ठ वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 3 जून को, जानिये शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

कोलकाता: ज्येष्ठ महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि की कामना से बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस बार ये व्रत 3 जून, शनिवार को किया जाएगा। इस बार वट पूर्णिमा व्रत के दिन तिथि, वार और ग्रह-नक्षत्रों से शिव, शुभ और अमृत नाम के योग बन रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस शुभ संयोग में पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा। वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 3 जून शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। ये व्रत देश के कुछ हिस्सों में ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को तो कुछ जगहों पर पूर्णिमा को किया जाता है। लेकिन स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में पूर्णिमा पर ही इस व्रत को करने का विधान बताया है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस बार रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग बन रहा है। यह तीनों योग का समय होगा- रवि योग सुबह 05:23 बजे से सुबह 06:16 बजे तक, शिव योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 02:48 बजे इसके बाद से सिद्ध योग प्रारंभ हो जाएगा।

वट यानी बरगद को देव वृक्ष माना जाता है। मान्यता है कि इस पेड़ की जड़ों में ब्रह्मा, बीच में भगवान विष्णु और ऊपरी हिस्से में शिवजी का निवास होता है। सतयुग की सावित्री देवी का वास भी बरगद में माना जाता है। इस पेड़ के नीचे बैठकर की गई पूजा-पाठ अक्षय पुण्य देने और मनोकामना पूरी करने वाली होती है। इसलिए वट सावित्री व्रत करने की परंपरा है।

व्रत और पूजा की विधि
  • सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ जल से नहाएं। ऐसा न कर पाएं तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं।
  • भगवान शिव-पार्वती की पूजा करके व्रत और बरगद की पूजा का संकल्प लें। नैवेद्य बनाएं और मौसमी फल जुटाएं।
  • बरगद के पेड़ के नीचे पूजा शुरू करें। मिट्‌टी का शिवलिंग बनाएं। पूजा की सुपारी को गौरी और गणेश मानकर पूजें।
  • सावित्री की पूजा भी करें। पूजा के बाद बरगद में 1 लोटा जल चढ़ाएं।
  • सौभाग्य-समृद्धि की कामना से पेड़ पर कच्चा सूत लपेटते हुए 11, 21 या 108 परिक्रमा करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *