
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। झाड़ग्राम वनाधिकार ग्राम सभा मोर्चा का चौथा वार्षिक सम्मेलन शुक्रवार को झाड़ग्राम शहर के थिएटर हाल में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में जिले के नयाग्राम और बीनपुर दो प्रखंडों के 22 ग्राम सभाओं के लगभग दो सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया I
इसके अलावा इस सम्मेलन में पुरुलिया, पश्चिम बर्दवान, पश्चिम मेदिनीपुर और बांकुड़ा जिलों के विभिन्न ग्राम सभाओं के प्रतिनिधि, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में कार्यरत राष्ट्रीय स्तर के वन अधिकार आंदोलन के नेता केशव गुमले और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित रहे।
सम्मेलन का संचालन मोर्चा के संयुक्त संयोजक चेतन बेसरा एवं मोंटू मुर्मू ने किया। सम्मेलन में ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि सरकारी सहायता नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने स्वयं की पहल पर अधिनियम के अनुसार पंचायत की सहमति एवं उपस्थिति से नया ग्राम एवं बीनपुर 2 ब्लॉकों में कुल 11 में 22 ग्राम सभा की स्थापना की है I
ग्राम सभा की ओर से उप विभागीय मजिस्ट्रेट और संबंधित अधिकारियों को सामुदायिक और व्यक्तिगत मांगें प्रस्तुत की। प्रस्तुत करने के 5 साल बाद भी, उन्हें अभी भी अपने दावे की कोई कानूनी मान्यता नहीं मिली है। सामाजिक कार्यकर्ता झरना आचार्य और वकील शांतनु चक्रवर्ती ने वन अधिकार अधिनियम के पक्ष में और आदिवासियों, विशेषकर लोधा समुदाय के वन अधिकारों पर वक्तव्य रखा। साथ ही डॉ. मौसमी मुर्मू, प्रो. गोपीनाथ टुडू, रेणुका सारेन आदि ने वन भूमि पर आदिवासियों के अधिकार के बारे में बताया।
सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 25 अप्रैल को प्रतिनियुक्ति उप विभागीय शासक को दी जाएगी। यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है, तो मई में प्रतिनियुक्ति राज्य आदिवासी विकास विभाग को दी जाएगी, केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में वन प्रबंधन के उद्देश्य से जंगल खासकर जंगल को आग से बचाने के लिए सीधे ग्राम सभा के नाम से बैंक खाता खोलने और सरकारी योजना की राशि जमा कराने की मांग की जायेगी। सभा स्तर पर अभियान चलाया जाएगा और मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत ग्राम सभा से लेकर सरकारी अधिकारियों तक कानून के मुताबिक की जाएगी।
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