तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। नौकरी में बहाली और आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना की मांग को लेकर झाड़ग्राम शहर में बर्खास्त योग्य शिक्षक-शिक्षिकाओं और शिक्षा कर्मियों ने जोरदार मार्च किया। इसमें शिक्षानुरागी व्यक्तियों ने भी भाग लिया। “वी द फोरम फॉर प्लेंडरिंग जस्टिस” के बैनर तले आहूत इस मार्च के आयोजन में बीएमईएफ का हाथ था। साथ ही आदिवासी योग्य शिक्षक, शिक्षिका, शिक्षाकर्मी अधिकार रक्षा मंच (2016) भी इसमें शामिल था।
वक्ताओं ने कहा कि कोलकाता सीएफएसएल रिपोर्ट आने तक सुप्रीम कोर्ट को एक उच्च-स्तरीय समिति गठित कर भ्रष्टाचार की जांच शुरू करनी चाहिए। 3 अप्रैल को 2016 के पैनल रद्द करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला पुनर्विचार करना चाहिए और योग्य शिक्षक, शिक्षिकाओं और शिक्षाकर्मियों को नौकरी में बहाल रखना चाहिए।
भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को चिह्नित कर उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। पैनल रद्द होने से योग्य शिक्षकों की गरिमा और आत्मसम्मान को हुए नुकसान की भरपाई सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए। पिछले दस वर्षों में जो लोग परीक्षा देने के योग्य थे, उनके लिए हर साल पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त परीक्षा और नियुक्ति की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसके अलावा, ओएमआर शीट्स के पूर्ण प्रकाशन सहित अन्य मांगें भी रखी गई। राष्ट्रीय ध्वज, ढोल-नगाड़े, वर्णमाला की किताबें, शंखनाद और विभिन्न प्रकार के प्लेकार्ड के साथ यह मार्च आयोजित किया गया। रैली से शिक्षक आंदोलन में पुलिस की बर्बरता की कड़ी निंदा की गई।
हजारों की संख्या में शिक्षक, शिक्षिकाएं और शुभचिंतक हिंदू मिशन मैदान से झाड़ग्राम शहर की प्रमुख सड़कों पर मार्च करते हुए पांचमाथा मोड़ पर एक सभा में समाप्त हुए।
इस मार्च का नेतृत्व बीएमईएफ की ओर से राज्य अध्यक्ष इसरारुल हक मंडल, बर्खास्त शिक्षकों की ओर से कृष्ण गोपाल चक्रवर्ती, चिन्मय मंडल, किसुन बेसरा और अन्य लोगों ने किया। मार्च में बर्खास्त शिक्षकों के अलावा विभिन्न स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं और शिक्षानुरागी व्यक्ति भी शामिल हुए।
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