अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य खेलों को संरक्षित रखना, बढ़ावा देना व विशेष रूप से बच्चों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है
भारतीय खेलों गिल्ली-डंडा, ख़ो-ख़ो, लंगडी, कांचे सहित अनेको पारंपरिक खेलों को राष्ट्रीय परिपेक्ष में लाकर फिर अंतरराष्ट्रीय मंच के लक्ष्य का संज्ञान लेना जरूरी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति और सभ्यता जिसमें बच्चों के पारंपरिक खेलों को भी शामिल किया गया है, को हजारों लाखों वर्षों पुरानी होने की बातें प्रिंट मीडिया में चलती रहती है, स्वाभाविक रूप से गिली-डंडा ख़ो-ख़ो, लंगडी, कांचे सहित अनेकों पारंपरिक खेल जो हमने अपने बचपन में खेले थे। वे कई पीढियां से चलते आ रहे हैं, जो आदि अनादि काल का ही होंगे। परंतु आज इनका वजूद शायद मिटने की ओर, यानी विलुप्तता की ओर बढ़ चला है, हालांकि कबड्डी व ख़ो-ख़ो को कुछ हद तक प्रतिसाद मिलते रहते हैं परंतु बाकी खेलों को शायद नहीं मिलता। मेरा मानना है कि जब हमारे माननीय पीएम व गृहमंत्री आज जब मेडिकल से लेकर इंजीनियरिंग तक पढ़ाई मातृ भाषाओं में लागू कर दिया है जिसका उल्लेख माननीय गृहमंत्री ने 9 जून 2025 को तमिलनाडु में एक संबोधन में भी किया। बोलचाल, उनकी लिपियों को संरक्षित रखने की शानदार शुरुआत कर चुके हैं तो, मेरी इस आलेख के माध्यम से उनसे अपील है कि अनेकों पौराणिक खेलों की सूची बनाकर उनमें से उचित खेलों को राष्ट्रीय परिपेक्ष में कन्वर्ट करने का संज्ञान लेना समय की मांग है।
वर्तमान डिजिटल युग में हम अपनी परंपराओं पौराणिक खेलो सभ्यता की विलुप्तता महसूस कर रहे हैं। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पूरी दुनिया 11 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मना रही है, यह दिवस दुनिया भर में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखने का प्रतीक है। क्योंकि खेल केवल मनोरंजन नहीं होता, बल्कि यह बच्चों को सहयोग, नेतृत्व, समस्या, समाधान और रचनात्मकता जैसे जीवन के आवश्यक कौशल सिखाता है। तकनीक के बढ़ते प्रभाव और पढ़ाई के बढ़ते दबाव के कारण बच्चों का खेल समय सीमित होता जा रहा है।
ऐसे में यह दिन सभी को याद दिलाता है कि खेल बच्चों के समग्र विकास के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि शिक्षा। बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहन देने उनको सुरक्षित करने इन खेलों का लाभ देने के लिए मनाया जाता है। जिससे बच्चों को शारीरिक मानसिक सामाजिक विकास पूरी गति के साथ हो सके। इन पुराने खेलों को सुरक्षित कर उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक सरकारी प्लेटफार्म बनाया जाए ताकि उनका लाभ बच्चों को दिया जा सके। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, बच्चों के खेलने से उनके शारीरिक मानसिक तथा सामाजिक विकास में तेजी से बढ़ावा होता है।
साथियों बात अगर हम बच्चों के जीवन में खेलों के महत्व की करें तो, अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस हर वर्ष 11 जून को मनाया जाता है। यह दिवस बच्चों के खेल के महत्व को उजागर करने और उनके शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास में खेल की भूमिका को पहचानने के उद्देश्य से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिन बच्चों को उनके बचपन का मूल अधिकार, खेल सुनिश्चित करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। खेल एक बेहतर दुनिया बनाता है। 11 जून 2025 को मनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस, खेल को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और प्राथमिकता देने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ताकि सभी लोग, विशेष रूप से बच्चे, इसके लाभों का लाभ उठा सकें और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें।
महज मनोरंजन से परे, खेल सभी उम्र के लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक सार्व भौमिक भाषा है, जो राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और सामाजिक, आर्थिक सीमाओं से परे है। यह साझा जुनून समुदाय और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा देता है। यह व्यक्तियों में लचीलापन, रचनात्मकता और नवाचार को भी बढ़ावा देता है। विशेष रूप से बच्चों के लिए, खेल संबंध बनाने और नियंत्रण में सुधार करने, आघात से उबरने और समस्या- समाधान में मदद करता है। यह बच्चों को संज्ञानात्मक, शारीरिक, रचनात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल विकसित करने में मदद करता है, जिनकी उन्हें तेजी से बदलती दुनिया में पनपने के लिए आवश्यकता होती है।
खेलने के अवसरों को सीमित करना सीधे तौर पर बच्चे की भलाई और विकास में बाधा डालता है। शैक्षिक सेटिंग्स में, खेल-आधारित शिक्षा को छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए एक प्रभावी दृष्टिकोण के रूप में मान्यता दी गई है। यह सीखने को अधिक आनंददायक और प्रासंगिक बनाने में मदद करता है, जिससे प्रेरणा और जानकारी को बनाए रखने में वृद्धि होती है। इसके अलावा, खेल को सहिष्णुता, लचीलापन को बढ़ावा देने और सामाजिक समावेशन, संघर्ष की रोकथाम और शांति निर्माण को सुविधाजनक बनाने पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला माना जाता है।
इसे मान्यता देते हुए, बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने अनुच्छेद 31 के तहत खेल को हर बच्चे के मौलिक अधिकार के रूप में सुनिश्चित किया है। यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर खेल के महत्व को बढ़ाने के लिए एक एकीकृत क्षण बनाता है। यह दुनिया भर में शिक्षा और सामुदायिक सेटिंग्स में खेल को एकीकृत करने के लिए नीतियों, प्रशिक्षण और वित्तपोषण के लिए आह्वान करता है।
साथियों बात अगर हम खेलों का बच्चों के जीवन में अतिमहत्वपूर्ण स्थान होने की करें तो, बच्चे खेल के माध्यम से सबसे अच्छा सीखते हैं।खेल विकास के सभी क्षेत्रों बौद्धिक सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक – में शक्तिशाली सीखने के अवसर पैदा करते हैं। खेल के माध्यम से, बच्चे दूसरों के साथ संबंध बनाना, नेतृत्व कौशल की एक विस्तृत श्रृंखला का निर्माण करना, लचीलापन विकसित करना, रिश्तों और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना और साथ ही अपने डर पर विजय प्राप्त करना सीखते हैं। जब बच्चे खेलते हैं, तो वे सुरक्षित महसूस करते हैं। बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को समझने के लिए खेलते हैं।
आम तौर पर, खेल बच्चों को कल्पना और रचनात्मकता को व्यक्त करने और विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो कि प्रौद्योगिकी संचालित और अभिनव दुनिया के लिए महत्वपूर्ण कौशल हैं जिसमें हम रहते हैं। चंचल बातचीत माता-पिता, देखभाल करने वालों और बच्चों के कल्याण और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य में योगदान देती है। जब मानवीय संकट बच्चे की दुनिया को उलट-पुलट कर देते हैं, तो खेल के ज़रिए ही बच्चे प्रतिकूल अनुभव से सुरक्षा और राहत पा सकते हैं, साथ ही दुनिया के साथ अपने अनुभवों का पता लगाने और उन्हें संसाधित करने में भी सक्षम हो सकते हैं।
जब बच्चों को युद्ध, संघर्ष और विस्थापन के कारण उनके घरों से निकाल दिया जाता है, तो माता-पिता/देखभाल करने वालों और साथियों के साथ पोषण संबंधों तक पहुँच हिंसा, संकट और अन्य प्रतिकूल अनुभवों के प्रभावों से महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच होती है। खेल बच्चों को आराम और सुकून देते हैं। माता-पिता/देखभाल कर्ताओं और बच्चों के बीच खेलपूर्ण बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकारों और अन्य हितधारकों को एक अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
साथियों बात अगर हम खेलों का महत्व व 2025 की थीम की करें तो, विज्ञान सतह पर, खेल ऐसा लग सकता है कि यह केवल मनोरंजन के लिए है, लेकिन शिशुओं और नन्हे बच्चों के लिए यह उससे कहीं ज़्यादा है। यह महत्वपूर्ण जीवन कौशल सीखने और विकसित करने के बारे में है, समस्या समाधान से लेकर विचारों को व्यक्त करने तक, भारतीय पौराणिक खेलों के बारे में कुछ उदाहरण जैसे- कुश्ती : कुश्ती एक प्राचीन भारतीय खेल है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। रथ दौड़ : रथ दौड़ एक प्राचीन भारतीय खेल था जो विभिन्न राजाओं और राजकुमारों के बीच होता था।
तीरंदाजी : तीरंदाजी भी एक प्राचीन भारतीय खेल है जो महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। बाँस वाली छड़ी का खेल : यह खेल भी महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसे “बाँस वाली छड़ी” के रूप में जाना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस 2025 का विषय क्या है? इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस का विषय है “खेल चुनें – हर दिन”। यह विषय हम सभी को – सरकारों, व्यवसायों, स्कूलों और परिवारों को – याद दिलाता है कि हमें ऐसे निर्णय लेने चाहिए जो बच्चों के लिए खेल को अपनाएँ और उन्हें प्राथमिकता दें।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस 11 जून 2025- बच्चों के खेलने से उनका शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास तेजी से होता है। अंतरराष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य खेलों को संरक्षित रखना, बढ़ावा देना व विशेष रूप से बच्चों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है। भारतीय खेलों गिल्ली-डंडा, ख़ो-ख़ो, लंगडी, कांचे सहित अनेको पारंपरिक खेलों को राष्ट्रीय परिपेक्ष में लाकर फिर अंतरराष्ट्रीय मंच के लक्ष्य का संज्ञान लेना जरूरी।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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