पूरी दुनिया भारत की बढ़ती सुदृढ़ होती अर्थव्यवस्था व विदेशी मुद्रा भंडार से हैरान- स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी
वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा, भंडारण स्पेस, रक्षा क्षेत्रों में तेजी से जबरदस्त उछाल के बावजूद वैश्विक, खुशहाली, गरीबी, भूख सूचकांकों में दयनीय स्थिति को रेखांकित करना जरूरी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया गुटों में बंटती जा रही है जिसमें छोटी-छोटी बातों पर दो या अनेक देश टकरा जाते हैं, व युद्ध के आयामों तक पहुंच जाते हैं। हाल ही में हमने देखे थाईलैंड व कंबोडिया में कुछ घंटों का तनातनी युद्ध हुआ, जिसमें एक सैनिक शहीद हुआ तो वही भारत-पाकिस्तान, तालिबान-पाकिस्तान, साउथ व नॉर्थ कोरिया सहित अनेक देशों में आपसी टकराहट होते रहती है तो वहीं रूस-यूक्रेन, हमास-इजरायल युद्ध लंबे समय से शुरू है, स्वाभाविक रूप से उनके पीछे उनके सदस्य देशों का ग्रुप शामिल होता है, जिससे युद्ध लंबा खींचता चला जाता है। जिसका सीधा-सीधा असर अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ता है, जो हर देश की जान होती है। यह दोनों अगर पूरी तरह से डाउन हो जाए तो वह देश गुलामी में डूबा समझो! इसलिए हर देश को अपनी अर्थव्यवस्था व विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत रखना जरूरी है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अभी हाल ही में आरबीआई ने कुछ आंकड़े जारी किए, जिसमें इस सप्ताह विदेशी मुद्रा कोष में 6.99 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो गई है।
बता दे भारत, जापान को पछाड़ कर पहले ही 4 नंबर की अर्थव्यवस्था पर पहुंच चुका है, ऐसे तेजी से तरक्की देख पूरी दुनिया हैरान है। परंतु मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही है कि, हर क्षेत्र में इतनी तरक्की व जबरदस्त अर्थव्यवस्था में सुधार, मजबूत होते जा रहा है फिर भी हम खुशहाली, भूख, गरीबी जैसे अनेकों बुनियादी सुविधाओं वाले सूचकांकों में वैश्विक स्तर पर अति पिछड़े क्यों है? मैं इस आलेख के माध्यम से माननीय पीएम महोदय से निवेदन करना चाहूंगा कि इससे रेखांकित कर स्वतः संज्ञान लेकर एक कमेटी या मंत्रालय का गठन कर इन सूचकांकों में भी रैंकिंग को कम से कम 1 से 20 की श्रेणी में लाने की तात्कालिक कार्यवाही कर, 2026 वर्ष के सूचकांकों में 1 से 20 तक की श्रेणी में लाने का विजन सूचकांक श्रेणी 2026 बनाया जाए। चूँकि भारत की विदेशी मुद्रा भंडार ने बदला विश्व का परिदृश्य, हैरान हुआ पाकिस्तान, अमेरिका व देखता रह गया चीन! इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा भंडारण स्पेस, रक्षा क्षेत्रों में तेज़ी से ज़बरदस्त उछाल के बावजूद वैश्विक, खुशहाली, गरीबी, भूख सूचकांकों में दयनीय स्थिति को रेखांकित करना जरूरी हैं।
साथियों बात अगर हम आरबीआई द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों में विदेशी मुद्रा भंडार इस वर्ष 6.99 अरब डॉलर बढ़कर 692.72 अरब डालर होने की करें तो, जानकारी देते हुए कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 23 मई को समाप्त सप्ताह में 6.99 अरब डॉलर बढ़कर 692.72 अरब डॉलर हो गया। इसके पहले 16 मई को समाप्त हुए सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4.89 अरब डॉलर घटकर 685.73 अरब डॉलर रह गया था। सितंबर, 2024 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गया था, इसका मतलब है कि भारत को अब विदेशी मुद्रा भंडार को एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए 12 अरब डॉलर से ज्यादा की जरुरत है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 23 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का एक प्रमुख हिस्सा फॉरेन करेंसी असेट्स 45.16 लाख डॉलर बढ़कर 586.17 अरब डॉलर हो गई। वहीं दूसरी ओर गोल्ड रिजर्व 2.37 अरब डॉलर बढ़कर 83.58 अरब डॉलर हो गया, भारत का एसडीआर 8.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.57 अरब डॉलर हो गया।
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास भारत का आरक्षित भंडार भी तीन करोड़ डॉलर बढ़कर 4.40 अरब डॉलर हो गया। पाक के फॉरेक्स रिजर्व में मामूली बढ़ोतरी चीन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि स्टेट बैंक ऑफ पाक (एसबीपी) के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है। एसबीपी ने कहा कि 23 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान बैंक का कुल विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 11.52 बिलियन डॉलर था, बयान में कहा गया कि वाणिज्यिक बैंकों के पास मौजूद शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 5.12 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया। एसबीपी ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान दक्षिण एशियाई देश का कुल तरल विदेशी भंडार लगभग 16.64 बिलियन डॉलर था। भारत और पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा देखने को मिला है, अगर बात भारत के फॉरेक्स रिजर्व की करें तो उसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने को मिली है। जबकि पाकिस्तान के फॉरेक्स रिजर्व में मामूली इजाफा देखने को मिला है। भारत और पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा देखने को मिला है।
साथियों बात अगर हम इस सप्ताह स्वर्ण भंडार का मूल्य 2.37 अरब डॉलर से बढ़कर 83.58 अरब डालर होने की करें तो, बीते सप्ताह अपने गोल्ड रिजर्व या स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक के मुताबिक बीते 23 मई को अपने सोने के भंडार में $2.366 बिलियन की बढ़ोतरी हुई। इससे एक सप्ताह पहले, यानी 16 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के गोल्ड रिजर्व में $5.121 बिलियन की तगड़ी कमी हुई थी। इसी के साथ अब अपना सोने का भंडार बढ़ कर यूएसडी 83.582 बिलियन हो गया है। बीते सप्ताह अपने गोल्ड रिजर्व या स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक के मुताबिक बीते 23 मई को अपने सोने के भंडार में $2.366 बिलियन की बढ़ोतरी हुई। इससे एक सप्ताह पहले, यानी 16 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के गोल्ड रिजर्व में $5. 121 बिलियन की तगड़ी कमी हुई थी। इसी के साथ अब अपना सोने का भंडार बढ़ कर यूएसडी 83.582 बिलियन हो गया है।
साथियों बात अगर हम वैश्विक सूचकांकों में भारत के अति पिछड़े होने को समझने की करें तो,भारत की वैश्विक सूचकांक में रैंकिंग में गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें बुनियादी ढांचा, आर्थिक विकास, सामाजिक सुरक्षा, और शिक्षा शामिल हैं। कुछ सूचकांकों में, जैसे कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स, डेटा के अशुद्ध रिकॉर्डिंग या गलत रिपोर्टिंग भी एक कारक हो सकती है।
(1) बुनियादी ढांचा : कई सूचकांकों में, भारत का डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचा खराब पाया गया है, जिससे उसकी रैंकिंग प्रभावित हो रही है। उदाहरण के लिए, वैश्विक रिमोट वर्क इंडेक्स में भारत को खराब बुनियादी ढांचे के कारण 95 वें स्थान पर रखा गया है।
(2) आर्थिक विकास : हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है, लेकिन आर्थिक असमानता और सामाजिक सुरक्षा की कमी के कारण कुछ सूचकांकों में उसकी रैंकिंग कम हो रही है।
(3) सामाजिक सुरक्षा : भारत का सामाजिक सुरक्षा ढांचा कुछ सूचकांकों में खराब पाया गया है, जिससे इसकी रैंकिंग कम हो रही है।
(4) शिक्षा : भारत में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार की आवश्यकता है, जो कुछ सूचकांकों में भारत की रैंकिंग को प्रभावित कर रही है।
(5) डेटा के अशुद्ध रिकॉर्डिंग:कुछ सूचकांकों जैसे ग्लोबल हंगर इंडेक्स, में डेटा की अशुद्ध रिकॉर्डिंग या गलत रिपोर्टिंग भी रैंकिंग में गिरावट का एक कारण हो सकती है। उदाहरण के लिए :
(1) ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत को 107वें स्थान पर रखा गया था, जो 6 पायदान की गिरावट थी, जो कि एक विशेषज्ञ के अनुसार डेटा की गलत रिपोर्टिंग के कारण हुई थी।
(2) पासपोर्ट इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में 2023 में भारी गिरावट आई, जो यूरोपीय संघ की नीति के कारण हुई थी, जिससे भारतीय नागरिकों के लिए कुछ देशों में वीजा की आवश्यकता हो गई।
(3) विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2025 में भारत को 118 वें स्थान पर रखा गया है, जो 2020 में 139 वें स्थान से एक महत्वपूर्ण उछाल है, लेकिन अभी भी पाकिस्तान और नेपाल से पीछे है। भारत की वैश्विक सूचकांक में रैंकिंग में गिरावट कई कारकों के कारण होती है, जिनमें बुनियादी ढांचा, आर्थिक विकास, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, और डेटा की अशुद्ध रिपोर्टिंग शामिल हैं। इन कारकों को संबोधित करके, भारत अपनी वैश्विक रैंकिंग में सुधार कर सकता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने बदला विश्व का परिदृश्य- हैरान हुआ पाकिस्तान व अमेरिका, देखता रह गया चीन! पूरी दुनिया भारत की बढ़ती सुदृढ़ होती अर्थव्यवस्था व विदेशी मुद्रा भंडार से हैरान- स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी।वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था, विदेशी मुद्रा भंडारण, स्पेस, रक्षा क्षेत्रों में तेज़ी से ज़बरदस्त उछाल के बावजूद वैश्विक खुशहाली, गरीबी, भूख सूचकांकों में दयनीय स्थिति को रेखांकित करना जरूरी हैं।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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