भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता ने मनाया राजभाषा पखवाड़ा

कोलकाता । भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता ने गृह मंत्रालय के अनुदेशों का पालन करते हुये इस वर्ष अपने राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तत्त्वाधान में 14 सितम्बर से 29 सितम्बर 2022 तक अपने संस्थान में राजभाषा पखवाड़ा मनाया। विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं हिन्दी वैज्ञानिक व्याख्यानों का आयोजन किया गया, इसे विज्ञान के प्रचार-प्रसार में संस्थान का एक उल्लेखनीय कदम माना जा सकता है। इस बार राजभाषा पखवाड़ा का प्रारंभ गृह मंत्रालय द्वारा सूरत में आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन से हुआ।

संस्थान के राजभाषा कार्मिकों ने वहाँ भी संस्थान का प्रतिनिधित्व किया। संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा कार्यानवयन समिति के अध्यक्ष प्रो. सौरभ पाल की अध्यक्षता में आज 29 सितम्बर 2022 को संस्थान में हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। आज इस समारोह का उद्घाटन प्रो. पाल के कर कमलों से हुआ । फ़िर सुश्री संगीता बक्शी साउ ने नृत्य के माध्यम से माता सरस्वती की वंदना की एवं उपस्थित सभी सरकारी कर्मचारियों ने राजभाषा प्रतिज्ञा का पाठ किया।

उक्त समिति के संयोजक प्रो. अश्वनी कुमार तिवारी ने सभा में सबका स्वागत किया एवं तदोपरांत निदेशक प्रो. सौरभ पाल ने अपने आशीर्वचनों से सभा को संबोधित किया। आज इस समारोह में हमारे बीच वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. प्रशांत कुमार पाणिग्राही भी उपस्थित थे एवं उन्होंने भी सभा को संबोधित किया। आज के इस समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ स्तंभकार एवं एल.के सिंहानिया एजुकेशन सेंटर, गोटन में लोक संपर्क अधिकारी प्रणय कुमार जी ने अपने ओजस्वी एवं प्रेरणादायी भाषण द्वारा सभा को संबोधित किया एवं सबको हिन्दी के महत्त्व के बारे में सचेत किया।

उन्होंने तमाम आँकड़े एवं साक्ष्यों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि डिजिटल विश्व में हिंदी बड़ी तेज गति से बढ़ रही है। हिंदी पर डिजिटल सामग्री पिछले 5 वर्षों में 93 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। यूट्यूब पर 90 प्रतिशत लोग हिंदी के वीडियो सुनते हैं। 65 करोड़ लोगों की प्रथम, 50 करोड़ लोगों की दूसरी और तीसरी तथा 20 करोड़ लोगों की चौथी, पाँचवीं भाषा हिंदी है। कुल मिलाकर 135 करोड़ लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं शताब्दी हिंदी की है।

इस समारोह में संस्थान के प्राध्यापक प्रो. बिपुल पाल, प्रो. देबाशीष हालदार, प्रो. गौतम देव मुखर्जी, प्रो. सत्यब्रत राज, प्रो. अशोक नंदा, प्रो. शुभजीत बंदोपाध्याय, डॉ. मनोज जायसवाल, डॉ. गौरव शुक्ला, डॉ. मालंच ता एवं डॉ. नीलांजना सेनगुप्ता भी उपस्थित थीं। प्रभारी, राजभाषा प्रकोष्ठ सनद कुमार शुक्ला, के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा समाप्त हुई। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन संस्थान की कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी डॉ. सुरश्री दत्ता ने किया। संस्थान के विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों ने मुख्य अतिथि के व्याख्यान को बहुत सराहा और उनके बताए विचारों को आत्मसात करने का निर्णय लिया।

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