इंडिपेंडेंट रिसर्च एथिक्स सोसाइटी ने अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के उपलक्ष में मनाया 251वां आयुष समृद्धि इंटरनेशनल वेबिनार

आज का विषय “आयुर्वेदा बेस्ट फॉर मेंस वाइटल हेल्थ” 

कोलकाता : इंडिपेंडेंट रिसर्च एथिक्स सोसाइटी के 251वां आयुष समृद्धि इंटरनेशनल वेबिनार में देश के विभिन्न भागों से पांच आयुर्वेद विशेषज्ञ इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट जुड़े वे थे – वैद्य डॉ. लक्ष्मीकांत कोर्टिकर, अहमदनगर से, डॉ. संजीव कदलीवड, हुमनाबाद से, डॉ. एस. भारत नरेन्द्र, चेन्नई से, डॉ. तनुज वीरभान, गाजियाबाद से और डॉ. भुसन ए. काले कोल्हापुर से। कार्यक्रम के मेजबान मॉडरेटर डॉ. पवन शर्मा, प्रेजिडेंट इरेस, (IRES) नेशनल एग्जीक्यूटिव विश्व आयुर्वेदा परिषद् ने ईश्वर स्तुति से कार्यक्रम शुरू किया तथा वक्ताओं का परिचय दिया। वक्ताओं के कुछ खास बातों का यहां उल्लेख किया जा रहा है।

आयुर्वेद, भारतीय प्राचीन विज्ञान आधुनिक युग में और उपकारी साबित हो रहा है। इसके आठ अंग हैं और रसायन-वाजीकरण का महत्व साधारण समाज के ऊपर है। अगर एक पुरुष और स्त्री का स्वास्थ सर्वोत्तम हो तो ही आने वाली पीढ़ी अच्छी हो सकती है, यह निम्न सोच है कि हम सिर्फ आनंद या सेक्स तक सीमित हो जाते हैं। पहले के ज़माने में राजा, रानी अपने स्वस्थ्य को ले कर आयुर्वेद के वाजीकारक विशेषक से अभिप्राय लेते थे और अच्छे संतान के लिए आगे नौ महीने माँ गर्भ संस्कार के नियमों को मानती थी। कितनी सही और बड़ी बात है, अच्छा संतान अच्छा राष्ट्रनिर्माता होता है।

इंफर्टिली (मेल रिप्रोडक्टिव प्रॉब्लम) के कारन पर चर्चा हुई। आधुनिक युग में फास्टफूड, कॉफी स्मोकिंग, अल्कोहल के संग टाइट कपड़े, मोबाइल इत्यादि भी जेनेटिक के साथ बड़े कारण हो रहे हैं। हज़ारो साल पहले लिखे गए आयुर्वेद शास्त्रों में कितने अध्ययन और शोध से लिखे गए होंगे की आज भी उसके बताये विचार जैसे विरुद्ध आहार विहार के प्रिंसिपल निदान के कारण बन रहे हैं। इस शास्त्र में बताएं लाइन ऑफ़ ट्रीटमेंट अछूत खड़ी होती हैं। सामान्य चिकित्सा, पंचकर्म साधना (shodhan) चिकित्सा, आयुर्वेद के चिकित्सक की देखरेख में लेने से ही लाभकारी हैं। अश्वगंधा, शिलाजीत इत्यादि की मात्रा निर्दिष्ट समय, अनुपान चिकित्सक दोष, वात, पित्त, कफ की स्थिति प्रकृति विकृति के अनुसार करते हैं। अलग-अलग ग्रेड स्टेजेस ऑफ़ ट्रीटमेंट आयुर्वेद में हैं!

विशेषज्ञों ने क्लीनिकल सक्सेस डिसकस की। रिपोर्ट्स, रिकार्ड्स पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन द्वारा बताये गए। आयुर्वेद के इस अनोखी चिकित्सा ने लाखो नि:संतान दंपतियों को लाभ पहुंचाया है। जो लोग खुद अपने मन से सुनी सुनाई बातों से वाजीकरण औषधि लेते हैं उनको लाभ के बदले हानि ही होती है। आयुर्वेद दवा हमेशा रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक डॉक्टर से निदान करके ही लेना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति को संयम रखना जरूरी है, यह ब्रह्मचर्य आश्रम का महत्व है! अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में नियम समाधान जैसे हैं वैसे निषेध भी बताये गए हैं।

  1. अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर्स प्राथमिक तौर पर बी.ए.एम.एस.(BAMS) किए हुए होते हैं। उसके बाद एम.डी.(MD) आयुर्वेद या एम.एस.(MS) आयुर्वेद होते हैं। आयुर्वेद में भी एडवांस्ड डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स होता है। रोगी को यह जानना जरूरी हैं की डॉक्टर का सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन है या नहीं? अन्यथा सिर्फ बड़े-बड़े विज्ञापनों या अंधभीड़ को देखकर महंगी और बिना नाम की दवाइयां न लें! आयुर्वेद कोई जादू नहीं बल्कि एक चिकित्सा विज्ञान है और आयुर्वेदिक चिकित्सा तो विज्ञान तथा शास्त्र दोनों हैं।

आज के वेविनार में सही मायनों में बहुत ही अच्छी और लाभदायक बातें हुई। देश-विदेशों के पचास से भी ज्यादा प्रतिनिधि लाइव जुड़े! ओपन डिस्कशन में प्रो. अग्निहोत्री हरिद्वार से, डॉ. राजन पाटणकर, सुक्ष्म औषधि विशेषज्ञ, मुंबई से, संबोधित किया। कार्यक्रम को डॉ. जयेश ठक्कर, कोलकाता और डॉ. परीक्षित देबनाथ, मेडफार्मा ने टीम IRES के साथ सफलता पूर्वक संचालन किया।

झंडू, इमामी की वेबेक्स प्लेटफार्म की ये मीटिंग वेबिनार की रिकॉर्डिंग यूट्यूब पर उपलब्ध हैं – https://www.youtube.com/watch?v=nd0CSz8ofXI

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