
- राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) और विज्ञान संग्रहालय समूह, लंदन ने महामारी की गति, टीके विकसित करने के वैश्विक प्रयास को बताने के लिए मिलाया हाथ
- 15 नवंबर, 2022 से शुरू हुई यह प्रदर्शनी दिल्ली, नागपुर, मुंबई, बैंगलोर तक पहुंची
- भारत/यूके टुगेदर सीज़न ऑफ़ कल्चर के हिस्से के रूप में ब्रिटिश काउंसिल द्वारा कमीशन की गई एक कला स्थापना को प्रदर्शित कर रहा यह प्रदर्शनी
कोलकाता, (Kolkata) : साइंस सिटी, कोलकाता में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और आईसीएमआर के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर डॉ बलराम भार्गव ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रदर्शनी “वैक्सीन इंजेक्टिंग होप” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर भारत सरकार के राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष (वैज्ञानिक उत्कृष्टता) प्रोफेसर पार्थ पी मजूमदार,
लंदन के विज्ञान संग्रहालय समूह के विज्ञान निदेशक डॉ रोजर हाईफील्ड, मेडिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, निदेशक और कार्डियक सर्जरी के प्रमुख डॉ कुणाल सरकार, चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान,
कोलकाता के पर्यावरण कार्सिनोजेनेसिस और विष विज्ञान विभाग की प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ मधुमिता रॉय, ब्रिटिश काउंसिल, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के निदेशक डॉ देबांजन चक्रवर्ती उपस्थित थे।
जब जनवरी 2021 में कोविड-19 महामारी ने दुनिया को भयंकर रूप से प्रभावित कर बड़ी संख्या में लोगों की जान ले रही थी तब इसके विपरीत, दुनिया इस नई घातक बीमारी से बचाव के लिए तैयार थी।
एक तरफ जहा वैक्सीन बनने में दशकों लग जाते हैं, वहीं इस मामले में, दुनिया के वैज्ञानिक, अब तक अज्ञात और अप्रयुक्त आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके, इसके प्रकट होने के एक साल से भी कम समय में एक प्रभावी वैक्सीन के कई संस्करण तैयार कर अचंभित किया।
NCSM और यूके के साइंस म्यूजियम ग्रुप द्वारा क्यूरेट की गई यह प्रदर्शनी हमें आधुनिक वैक्सीन के निर्माण और इसके मानवीय पक्ष के साथ इसके कई पहलुओं की कहानी बताती है।
प्रदर्शनी में ‘नए वायरस का आगमन’, ‘नई वैक्सीन का डिजाइन’, ‘परीक्षण, परिणाम और अनुमोदन’, ‘पैमाने पर उत्पादन और बड़े पैमाने पर उत्पादन’, ‘वैक्सीन रोलआउट’, ‘कोविड के साथ जीना’ जैसे खंड हैं और यह महामारी की गति से वैक्सीन विकसित करने के नए तरीके खोजने और ऐतिहासिक और समकालीन दृष्टिकोण से टीकाकरण को अधिक व्यापक रूप से देखने के वैश्विक प्रयास पर आधारित थी।
प्रदर्शनी में वैक्सीन के निर्माण और प्रभावकारिता के अंतर्निहित वैज्ञानिक सिद्धांतों को दिखाया गया है, साथ ही उनके तेजी से विकास, उत्पादन, परिवहन और वितरण के साथ-साथ पर्दे के पीछे के काम को भी दिखाया गया है।
प्रदर्शनी में ‘थ्रू द लेंस’ को प्रदर्शित किया गया है, जो ब्रिटिश काउंसिल द्वारा कमीशन की गई एक कलाकृति है और दिल्ली स्थित एक भारतीय मूर्तिकार सुशांक कुमार और लंदन के एक नाटककार निगेल टाउनसेंड के बीच सहयोग से बनाई गई है।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के उप महानिदेशक और भारत में परियोजना के प्रमुख एवं समन्वयक श्री समरेंद्र कुमार ने कहा, “यह प्रदर्शनी जीवन बचाने में टीकों के महत्व का संदेश देने में बहुत सफल रही है। अब तक 18.2 लाख से अधिक लोग प्रदर्शनी देखकर लाभान्वित हो चुके हैं और इसके अतिरिक्त, हम सोशल मीडिया के माध्यम से 26 लाख से अधिक लोगों तक पहुँच चुके हैं।”
साइंस सिटी, कोलकाता के निदेशक श्री अनुराग कुमार ने कहा, “यह प्रदर्शनी 15 अप्रैल, 2025 से सितंबर 2025 तक साइंस सिटी, कोलकाता में प्रदर्शित की जाएगी और यह प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे से शाम 6 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी।
हमने इस अवधि के दौरान लोगों को शिक्षित करने और उन्हें जोड़ने के लिए विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों और इंटरैक्टिव गतिविधियों की योजना बनाई है, और मैं कोलकाता के लोगों को प्रदर्शनी देखने और इन गतिविधियों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि यह प्रदर्शनी निश्चित रूप से जीवन बचाने में टीकों के महत्व के बारे में उनकी समझ को बढ़ाएगी।”
यह कलाकृति ऐतिहासिक रूप से और हाल ही में कोविड-19 महामारी के प्रकाश में टीकाकरण के साथ हमारे संबंधों का पता लगाने का प्रयास करती है। इस कार्यक्रम में कोलकाता के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया और प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
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