डॉ. सन्तोष कुमार झा के कविता संग्रह “कविक आबा” का लोकार्पण

हिमाद्रि मिश्र ‘हिम’, कोलकाता। “कविता प्रयास पूर्वक नहीं लिखी जा सकती है वह तो स्वतः स्फूर्त होती है एवं जो प्रयास पूर्वक लिखी गई हो वह कविता ही नहीं है” ऐसा कहना है डॉ. सन्तोष कुमार झा का, जिनके मैथिली काव्य संग्रह “कविक आबा” का लोकार्पण दिनांक 27 अप्रैल 2025 को कोलकाता के बड़ाबाजार लाइब्रेरी में कोलकाता एवं अन्य स्थानों से आए हुए मैथिली साहित्यकारों की उपस्थिति में किया गया।

साहित्य अकादमी भाषा सम्मान से सम्मानित, संस्कृत एवं मैथिली दोनों ही भाषाओं में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. उदयनाथ झा अशोक ने कहा कि “वर्तमान परिस्थिति में इस तरह के काव्य की अत्यधिक आवश्यकता है जो देश एवं समाज को नई दिशा प्रदान करे एवं काव्य के गुणों के अनुरूप भी हो।”

समकालीन कविताओं में इस कविता संग्रह की सटीकता को दर्शाते हुए वरिष्ठ कवि बिनय भूषण ने कहा कि “अभी देश जिस दौर से गुजर रहा है उस दौर की कविता है कविक आबा”।

इस कविता संग्रह पर अपने विचार रखते हुए साहित्य अकादमी से पुरस्कृत युवा कवि चंदन कुमार झा ने कवि को निष्पक्ष भाव से लिखने एवं चुप न रहने की सलाह देते हुए कहा कि “यह काव्य संग्रह जिसमें विविध विधाओं की कविताएं संकलित हैं जो समाजोपयोगी साबित होगा तथा एक सार्थक कार्य सिद्ध होगा।”

आइआइएम जोका के प्रोफेसर व वरिष्ठ कवि डॉ. विद्यानंद झा ने इस कविता संग्रह को गाँव, समाज, खेत, मजदूर, किसान, देश एवं राष्ट्र से जुड़ी हुई समस्या को दर्शाने वाला बताया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वैज्ञानिक एवं साहित्यकार डॉ. योगेन्द्र पाठक वियोगी ने कवि डॉ. सन्तोष कुमार झा की इस कविता संग्रह में सम्मिलित कविता ‘सिमरियाक मेला’ की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस तरह की प्रभावी कविता को ऑडियो बुक के रूप मे समाज के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए जिससे सुगमतापूर्वक पाठक एवं श्रोता की पहुंच मैथिली कविता तक बन सके और मैथिली कविता के पाठक एवं श्रोताओं को सहज रूप से सामग्री उपलब्ध हो सके।

लोकार्पण समारोह का आयोजन कोलकाता की मैथिली भाषा की सुप्रतिष्ठित संस्था संपर्क ने किया एवं इसका संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मिथिलेश कुमार झा ने किया। कार्यक्रम का लाइव प्रसारण मिथिमीडिया द्वारा किया गया।

पुस्तक लोकार्पण के बाद द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न कवियों ने पहलगाम सहित अन्य विषयों पर अपनी कविताओं का पाठ किया एवं इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण झा ‘सागर’ ने की।

पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूकता को दिखाते हुए एवं कविता संग्रह की कविता क सार्थक करते हुए कवि के द्वारा अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया गया। अन्त में कवि डॉ. सन्तोष कुमार झा ने सबको धन्यवाद ज्ञापन किया।

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