नीमच के मां आंतरी माता मंदिर में मन्नत पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं जीभ

नीमच। मध्यप्रदेश के नीमच जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर रेवती नदी के किनारे बसे गांव आंतरी बुजुर्ग में मां आंतरीमाता का मंदिर स्थित है। यह मंदिर 700 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है।

इस मंदिर की स्थापना 1329 ईस्वी में राव सेवाजी खेमाजी ने की थी। मां आंतरीमाता चंद्रावत राजपूतों की कुलदेवी हैं और यहां दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।

इस मंदिर की एक अनोखी परंपरा है, जिसमें भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर माता को अपनी जीभ अर्पित करते हैं। इस नवरात्रि में भी तीन भक्तों ने अपनी जीभ चढ़ाई है।

मंदिर के पुजारी अवधेश सिंह राठौर ने बातचीत में बताया कि यह मंदिर 1329 ईस्वी में बनाया गया था और यहां की परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है।

वे कहते हैं, “यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी होती है, तो वे नवरात्रि के पहले दिन अपने हाथों से अपनी जीभ काटकर माता को चढ़ाते हैं। नौ दिन तक भक्त मंदिर में रहते हैं और नवमी के दिन उनकी जीभ फिर से वापस आ जाती है। इसके बाद भक्त माता का जयकारा लगाते हुए घर लौटते हैं।”

In Neemuch's Maa Antari Mata temple, devotees offer tongues after their wishes are fulfilledपुजारी के मुताबिक, हर साल सैकड़ों लोग यहां जीभ चढ़ाते हैं और अब तक हजारों भक्त ऐसा कर चुके हैं। इस बार भी दो महिलाओं और एक पुरुष ने अपनी जीभ अर्पित की है और वे अभी मंदिर में ही हैं।

इस चैत्र नवरात्रि में तीन भक्तों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर माता को अपनी जीभ चढ़ाई। इनमें नीमच के धनगर समाज के युवा दीपक, नीमच की ही एक महिला और रतलाम जिले के सेमलिया कालूखेड़ा गांव की एक महिला शामिल हैं।

नीमच के जसवंत धनगर ने बताया, “मेरे भतीजे दीपक ने नवरात्रि के पहले दिन माता को अपनी जीभ चढ़ाई है। माता की कृपा से नौ दिन में उसकी जीभ वापस आ जाएगी। यहां की यह महिमा है कि मन्नत पूरी होने पर लोग अपनी जीभ चढ़ाते हैं और वह वापस आ जाती है।”

जसवंत ने आगे कहा कि इस बार उनके भतीजे के साथ दो महिलाओं ने भी ऐसा किया है।

रतलाम जिले के सेमलिया कालूखेड़ा गांव से आए हिम्मत सिंह चंद्रावत ने अपनी मां के अनुभव को साझा करते हुए कहा, “हमने यहां माता से मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। मेरी मां ने भी अपनी जीभ चढ़ाई है।

माता की बहुत कृपा है, जो भी यहां मांगता है, उसकी मुराद पूरी होती है।” हिम्मत सिंह ने बताया कि उनकी मां भी नौ दिन तक मंदिर में रहेंगी और माता की कृपा से उनकी जीभ वापस आ जाएगी।

मान्यता है कि माता के वाहन के दो पदचिह्न यहां मौजूद हैं। एक पदचिह्न मंदिर के अंदर है, जबकि दूसरा दक्षिण दिशा में हनुमान घाट की शिला पर अंकित है।

यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि माता हर किसी की मनोकामना पूरी करती हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

नौ दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में भक्त माता के दरबार में रहते हैं और अपनी भक्ति का प्रमाण देते हैं। मां आंतरीमाता के इस मंदिर की ख्याति मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है। यहां देश के अलग-अलग राज्यों से भक्त आते हैं।

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