आईआईएम उदयपुर की कंज्यूमर कल्चर लैब ने देश के ग्रामीण और क्षेत्रीय प्रमुख इलाकों के बारे में देश का पहला डिजिटल रिसर्च लाॅन्च किया

उदयपुर। आईआईएम उदयपुर की कंज्यूमर कल्चर लैब (देश में किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अपनी तरह की एकमात्र लैब) ने देश के ग्रामीण और क्षेत्रीय प्रमुख इलाकों के बारे में देश का पहला डिजिटल रिसर्च लाॅन्च किया है। ‘रंगभूमि- द डिजिटल हार्टलैंड्स ऑफ इंडिया’ शीर्षक वाली यह शोध रिपोर्ट स्ट्राइप पार्टनर्स, यूके के सहयोग से तैयार की गई है और इस रिपोर्ट में छोटे शहरों के डिजिटल सोशल मीडिया क्रिएटर्स की यात्रा का खुलासा किया गया है। यह प्रोजेक्ट कंज्यूमर कल्चर लैब की एसोसिएट प्रोफेसर और को-चेयर प्रोफेसर तन्वी गुप्ता और कंज्यूमर कल्चर लैब की सीनियर रिसर्च एक्जीक्यूटिव आदिश्री गुहा ने तैयार किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारतीय छोटे शहर उम्मीदों और मुश्किलों के बीच झूलते हैं और अक्सर भटकाव की स्थिति में रहते हैं। रिसर्च टीम ने महानगरीय भारत से परे देश के अंदरूनी इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन को समझने का प्रयास किया। ये ऐसे इलाके हैं जो अक्सर अनछुए रह जाते हैं। नौ राज्यों में नौ स्थानों में मानव जाति के इतिहास से संबंधित यह रिसर्च छोटे शहरों के पंद्रह सोशल मीडिया रचनाकारों की यात्रा का खुलासा करती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादातर लोग ओरिजिनल कंटेंट तैयार करने, अपनी फॉलोइंग बनाने, सामाजिक प्रभाव डालने और पैसे कमाने के लिए इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। विस्तृत रिपोर्ट बबसंइण्पपउनण्पद से डाउनलोड की जा सकती है।

इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए आईआईएम उदयपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर अशोक बनर्जी ने कहा, ”आज ग्रामीण भारत में भी इंटरनेट को तेजी से अपनाया जा रहा है। 2020 में 299 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता थे जो बढ़कर 2021 में 351 मिलियन तक पहुंच गए। इंटरनेट अपनाने के साथ-साथ राय बनाने और निर्णय लेने के लिए सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपयोग में भी वृद्धि हुई है। यह रिपोर्ट भारत में डिजिटल उपभोक्ताओं के उदय की पड़ताल करती है और साथ ही और निर्णय लेने को प्रभावित करने वाली सामग्री बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की प्रवृत्ति का खुलासा भी करती है। ‘डिजिटल हार्टलैंड्स ऑफ इंडिया’ के प्रमुख निष्कर्ष निश्चित रूप से उन उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जिनके लिए ग्रामीण उपभोक्ता उनका लक्षित ग्राहक वर्ग है और जो नीति निर्माता हैं।”

आईआईएमयू में एसोसिएट प्रोफेसर और कंज्यूमर कल्चर लैब के को-चेयर राजेश नानरपुझा ने कहा, ”भारतीय उपभोक्ता को बेहतर ढंग से समझने और उपभोग करने वाले लोगों की दबी हुई आवाज को मुख्यधारा में लाने के लिए यह रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है। आईआईएमयू की कंज्यूमर कल्चर लैब का घोषित मिशन भी यही है और इसी के अनुरूप ‘रंगभूमि – डिजिटल हार्टलैंड्स’ प्रोजेक्ट हमारा महत्वपूर्ण पहला कदम है। निश्चित तौर पर इस अध्ययन के परिणाम उद्योग और शिक्षा जगत दोनों के लिए उपयोगी साबित होंगे।”

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