पति-पत्नी को भूलकर भी नहीं करना चाहिए एक थाली में भोजन!

भीष्म पितामह ने बताया था इसका राज

वाराणसी । अधिकांश घरों में पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं। वे ऐसा मानते हैं कि एक थाली में खाना खाने से आपसी प्यार बढ़ता है। हालांकि बड़े-बुजुर्ग और धर्म शास्त्रों के जानकार कहते हैं कि पति-पत्नी को एक थाली में भोजन नहीं करना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है? इस विषय में अक्सर लोग नहीं जानते हैं। हालांकि इसके बारे में महाभारत में भी जिक्र किया गया है। आइए जानते हैं कि पति-पत्नी को एक थाली में क्यों नहीं खाना चाहिए।

पति-पत्नी को नहीं करना चाहिए एक थाली में भोजन : इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि साथ में भोजन करने से प्यार बढ़ता है। इस बात को भीष्म पितामह भी भलीभांति समझते थे। उनका मानना था कि हर इंसान का परिवार के प्रति तमाम कर्तव्य होते हैं। ऐसे में उन कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना है और परिवार में मधुर संबंध कायम रखना है तो पति-पत्नी को एक थाली में भोजन नहीं करना चाहिए। दरअसल पत्नी के साथ एक थाली में खाना खाने से पति के लिए परिवार के अन्य रिश्तों की तुलना में पत्नी का प्रेम सर्वोपरि हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वो गलत और सही में फर्क भूल जाता है। अगर पति का पत्नी के प्रति प्रेम सर्वोपरि हो जाए तो परिवार में कलह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए पत्नी के साथ एक थाली में भोजन नहीं करना चाहिए।

परिवार के साथ बैठकर करना चाहिए भोजन : भीष्म पितामह का मानना था कि परिवार के सभी सदस्यों को साथ बैठकर भोजन करना चाहिए। इससे परिवार में आपसी प्यार बढ़ता है। साथ ही एक-दूसरे के प्रति त्याग और समर्पण की भावना भी प्रबल होती है। जिस कारण परिवार तरक्की करता है।

नहीं करना चाहिए ऐसा भोजन : भीष्म पितामह का मानना था कि अगर परोसे हुए भोजन की थाली को कोई लांघ जाए तो वह कीचड़ से समान दूषित है। इसे जानवर को खिला देना चाहिए। इसके अलावा अगर भोजन की थाली को कोई पैर मारकर जाए तो ऐसे भोजन को भी हाथ जोड़कर त्याग कर देना चाहिए। दरअसल ऐसा भोजन दरिद्रता लाता है।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *