हिन्दी दिवस : हिन्दी हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा है

उज्जैन। किसी भी ज्ञान को गहराई से अर्जित करना है तो वह अपनी भाषा में ही संभव है। हिन्दी हमारी अपनी भाषा है। इसलिए वह हमारे सामाजिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। ज्ञानार्जन का वास्तविक आधार हिन्दी ही है इसलिए हम सबको शुद्ध बोलने, लिखने और पढ़ने की आदत डालनी पड़ेगी। यह तब संभव होगा, जब हम अंग्रेजी के मोहजाल से बाहर निकलेंगे।

यह उद्गार स्वर्गीय पं. अरुण भार्गव स्मृति-हिन्दी प्रचार-प्रसार समिति रतलाम द्वारा ”राष्ट्रभाषा हिन्दी के संघर्ष भरे 75 वर्ष” वार्षिक पत्रिका का विमोचन करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन में रंगकर्मी शिक्षाविद ओमप्रकाश मिश्र ने स्थानीय शासकीय उत्कृष्ट उ.मा. विद्यालय के सभा गृह में हिन्दी प्रेमियों का संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर प्रो. प्रदीप सिंह राव ने कहा कि वर्तमान समय में हिन्दी भारतवर्ष की एक आवश्यकता है। हिन्दी के मामले में हमें औपचारिकता से बचकर दिल से सम्मान देना चाहिए

विशेष वक्ता के रूप में उज्जैन से पधारे हिन्दी प्रेमी डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि हिन्दी विश्व भाषा बनने की दिशा में निरन्तर आगे बढ़ रही है । हिन्दी सबको बड़ा बनाती है। अंग्रेजी किसी का भला नहीं कर सकती है। उसका उद्देश्य तो दास प्रथा को बढ़ावा देना है। जबकि हिन्दी में अपनापन है।

इस अवसर पर सुभाष कुमावत ने कहा कि हिन्दी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। आज की पीढ़ी को मन में हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जगाना आवश्यक है। यदि आज की पीढ़ी के मन मे हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम जाग्रत हो जाए तो फिर हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनने से कोई नहीं रोक सकता है। इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेवी दिनेश शर्मा ने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्र का गौरव है जो सभी को जोड़ने का कार्य करती है।

हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में लोक लोक संस्कृति को बचाने के उद्देश्य से लोक गीत प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में श्री गुरूतेग बहादुर पब्लिक स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। शा. उत्कुष्ट उ.मा.वि. रतलाम को द्वितीय स्थान मिला। तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से शासकीय हाई स्कुल कुण्डा तथा सी.एम. राइज माडल स्कूल सैलाना रहे। निर्णायक के रूप में दिनेश बारोठ व विनीता ओझा ने अपनी सेवाएँ दी।

कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती व अरुण भार्गव के चित्र पर माल्यार्पण व पूजन के साथ हुआ। मंचस्थ अतिथियों का पुष्प मालाओं से आत्मीय अभिनंदन दिलीप पवार, विनोद शर्मा, सीमा अरुण भार्गव, डॉ. मुनीन्द्र दुबे, डॉ. पुर्णिमा शर्मा, भावना पुरोहित, नरेन्द्र सिंह पंवार, हेमं सिंह राठौर, राजीव लवानिया, अंजूम खान, महावीर सिंह राठौर, जुबैर आलम कुरेशी, राजीव लोचन कुशवाह, सुजात मोहम्मद, राकेश जादोन, जितेन्द्र सिंह पथिक, निर्मल सिंह चौहान, दिलीप चौहान, पिंकी यादव, रहीस पठान, संजय मेहता, श्याम सुन्दर भाटी, सुभाष यादव, रणजीत सिंह राठौर आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन जुबैर आलम कुरेशी व नरेन्द्र सिंह पंवार ने किया। आभार विनोद शर्मा ने व्यक्त किया।

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