बड़़ाबाजार लाइब्रेरी के 123वें स्थापना दिवस पर भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन संपन्न

कोलकाता । पूर्वोत्तर भारत की प्राचीनतम लाइब्रेरी- बड़ाबाजार लाइब्रेरी के 123वें स्थापना दिवस, बसंत पंचमी एवं निराला जयंती के शुभ अवसर पर सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं पत्रकार विश्वंभर नेवर जी की अध्यक्षता में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री वातानुकूलित सभागार में एक भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। सर्वप्रथम माँ शारदे की विधिवत पूजा अर्चना की गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ हिमाद्रि मिश्रा के मधुर सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। अतिथियों को अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। कुसुम लूँडीया, विराट शर्मा, विष्णु तुलस्यान, अरुण मल्लावत, विष्णु वर्मा, संतोष शराफ, सुनील मोर, नंद कुमार लढा और विष्णु वासिया उपस्थित थे।

अपने स्वागत भाषण में लाइब्रेरी के मंत्री अशोक कुमार गुप्ता ने सभी का स्वागत करते हुए लाइब्रेरी के विषय में दुर्लभ और रोचक जानकारियों को सभी से साझा किया। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजा राम मोहन राय फाउन्डेशन के महानिदेशक अजय प्रताप सिंह ने कहा कि पाठकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर पुस्तकालय के ढांचे में आमूल चूल परिवर्तन आज की माँग है। इसको मद्दे नजर रखते हुए हर संभव सहायता करने का उन्होंने आश्वासन दिया। अध्यक्षीय वक्तव्य में नेवर जी ने शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जब सबको शिक्षा मिलेगी तभी भारत दुनिया में विश्वगुरु बन सकता है, इस कार्य में लाइब्रेरी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

प्रख्यात हास्य कवि डॉ. गिरिधर राय के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम का फेसबुक पटल पर ऑनलाइन प्रसारण की तकनीकी दायित्य का निर्वाह किया देवेश मिश्रा ने। इस अवसर पर चंद्र कुमार जैन, बाल किशन लूँडीया, गोविन्द जैथलिया, शिव शर्मा, रविकांत मिश्रा आदि उपस्थित थे। बसंत को केन्द्र में रखते हुए आयोजित काव्य गोष्ठी के सत्र में, रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं की वाह वाही बटोरी। जिसमें निराला जी भी याद किये गये।

इन रचनाओं में – नंदलाल रौशन जी की – ‘अब न कागज़ की रहे कश्ती बनाने वाले’, देवेश मिश्र की – ‘यह वीरों की भूमि भारत है’, रामाकांत सिन्हा की – ‘कहो कौन नहीं अपना होगा’, “पुकार” गाजीपुरी की – ‘बसंत आये तो मन भी बसंत हो जाए/कुछ निराला कुछ दुष्यंत कुछ पंत हो जाए’, आलोक चौधरी की – ‘हुआ आगमन फिर वसंत का’, हिमाद्रि मिश्रा की – ‘न मारो पिचकारी’, एवं वरिष्ठ कवि विन्देश्वरी जी की – ‘बासंती ऋतु फिर गदराई – बेहद सराही गयी। इस काव्य गोष्ठी का कुशल संचालन लाइब्रेरी के महामंत्री अशोक गुप्ता ने किया। अंत में अरुण प्रकाश मल्लावत के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही यह भव्य कार्यक्रम सुसंपन्न हुआ।

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