Grand conclusion of the seven-day international workshop and seminar

सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला और संगोष्ठी का भव्य समापन

कोलकाता, (Kolkata) : काजी नजरुल विश्वविद्यालय, आसनसोल और उमा फाउंडेशन, नैहाटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय अनुवाद-सृजन कार्यशाला और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन भव्य रूप से संपन्न हुआ। कार्यशाला 23 मार्च से प्रारंभ हुई थी और इसका उद्देश्य अनुवाद, भाषा और साहित्य सृजन के क्षेत्र में गहन अध्ययन और विमर्श को बढ़ावा देना था।

इस कार्यशाला में देशभर के प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसे नई शिक्षा नीति के तहत कौशल विकास कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संचालित किया गया, जिसमें ‘अनुवाद और सृजनात्मक लेखन कौशल’ के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।

वहीं, “हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में पश्चिम बंगाल का योगदान” विषय पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सामुदायिक सहभागिता, साझी संस्कृति और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देना था।

इस ऑफलाइन संगोष्ठी में 1097 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था, जबकि ऑनलाइन कार्यशाला में 149 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस सात दिवसीय कार्यशाला में अनुवाद की प्रक्रिया, तकनीकी अनुवाद, साहित्यिक अनुवाद की चुनौतियां, बहुभाषी भारत में अनुवाद की प्रासंगिकता और अनुवादक के रूप में करियर की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया।

उद्घाटन सत्र में काजी नजरुल विश्वविद्यालय के कला संकायाध्यक्ष प्रोफेसर सजल कुमार भट्टाचार्य ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रमुख वक्तव्य प्रो. विजय कुमार भारती ने दिया, जबकि संचालन हेमंत कुमार यादव (अनुवादक, आईआईटी) ने किया।

इस कार्यशाला के मुख्य मेंटर्स में वरिष्ठ साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह, डॉ. विक्रम कुमार साव (बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज), डॉ. अभिजीत सिंह (विद्यासागर कॉलेज फॉर वूमेन), धर्मेंद्र साव (भारतीय खाद्य निगम),

Grand conclusion of the seven-day international workshop and seminar

डॉ. विनय शुक्ला (कर्मचारी राज्य बीमा निगम), अनूप कुमार साव (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण), निशांत कुमार (आईआईएसईआर), श्री शक्तिवीर सिंह (गेल), विष्णु विश्नोई (इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड) और डॉ. मंटू कुमार साव सहित कई प्रतिष्ठित विद्वान शामिल रहे।

कार्यशाला के समापन अवसर पर 29 मार्च को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बैरकपुर के सांसद पार्थ भौमिक उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में हिंदी भाषा की वैश्विक उपस्थिति और बंगाल के साथ इसके सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डाला।

नैहाटी विधानसभा के विधायक सनत दे, नैहाटी पौरसभा के कनहाई लाल आचार्य और भाटपाड़ा के सीईसी अमित गुप्ता भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलन और बंकिमचंद्र चटर्जी को माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जिसके बाद तनिशा साव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

अकादमिक सत्र में विद्वानों ने हिंदी भाषा और साहित्य में बंगाल के योगदान पर विस्तृत चर्चा की।

डॉ. राजश्री शुक्ल ने ऐतिहासिक परिदृश्य को सामने रखते हुए बंगाल में हिंदी साहित्य के विकास पर प्रकाश डाला, जबकि प्रो. विजय कुमार भारती ने हिंदी भाषा के विकास में बंगाल की सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं की भूमिका पर चर्चा की।

वहीं, डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा ने साहित्य में वैज्ञानिकता और संवेदनशीलता के संतुलन को लेकर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम के सांस्कृतिक सत्र में नृत्यम कला मंदिर द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी गईं, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यशाला और संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के 1092 विद्यार्थियों एवं 147 शिक्षकों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. विकास साव (सचिव, उमा फाउंडेशन) ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मंटू कुमार साव ने किया।

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